आजु हरि अद्भुत रास उपायौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग केदारौ


आजु हरि अद्भुत रास उपायौ।।
एकहिं सुर सब मोहित कीन्हे, मुरली नाद सुनायौ।।
अचल चले, चल थकित भए, सब मुनिजन ध्यान भुलायौ।
चंचल पवन थक्यौ नहिं डोलत, जमुना उलटि बहायौ।।
थकित भयौ चंद्रमा सहित-मृग, सुधा समुद्र बढ़ायौ।
सूर स्याम गोपिनि सुखदायक, लायक दरस दिखायौ।।1140।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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