आजु दिन कान्ह आगमन के बधाए सुनि ,
छाए मग फूलन सुहाए थल थल के ।
कहैं पदमाकर त्यों आरती उतारिबे को ,
थारन मे दीप हीरा हारन के छलके ।
कंचन के कलस भराए भूरि पन्नन के ,
ताने तुंग तोरन तहांई झलाझल के ।
पौर के दुवारे तैं लगाय केलि मंदिर लौ,
पदमिनि पांवडे पसारे मखमल के ।