आइ विभीषन सीस नवायौ -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग सारंग


 
आइ विभीषन सीस नवायौ।
देखत हो रघुबीर धीर, कहि लंकापती बुलायौ।
कह्यौ सो बहुरि कह्यौ नहिं रघुबर, यहै बिरद चलि आयौ।
भक्तबछल करुनामय प्रभु कौ, सूरदास जस गायौ॥112॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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