आँखिनि मैं बसै जिय मैं बसै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सुधराई


आँखिनि मैं बसै, जिय मैं बसै, हिय मै बसत निसि दिवस प्यारौ।
तन मैं बसै, मन मैं बसै, रसना हू मैं बसै नंदवारौ।।
सुधि मैं बसै, बुधिहू मैं बसै, अंग अंग बसै मुकुटवारौ।
'सूर' बन बसै, घरहु मैं बसै, सग ज्यौ तरग जल न न्यारौ।।1919।।

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