(अरी मै जानि) पाए चिह्न दुरै न दुराए।
अति अलसाति जम्हाति पियारी, स्यामकाम बनधाम पुराए।।
कहा दुराव करति री प्यारी, कोटि करै मुख नैन झुराए।
सुमनहार सो मरगजि डारी, पिय प्यारे रँगरैनि जगाए।।
प्रगट नही तू करति, डरति किहिं सुरतिसेज रतिकाम लजाए।
'सूरस्याम' तोहिं रस-बस कीन्ही, जात नही मन तै बिसराए।।2661।।