अरस परस सब ग्वाल कहैं।
जब मारयौ हरि रजक आवतहिं, मन जान्यौ हम नहिं निबहैं।।
वैसौ धनुष तोरि सब जोधा, तिन मारत नहिं बिलँव करयौ।
मल्ल मतंग तिहूँ पुरगामी, छिनकहि मै सो धरनि परयौ।।
वैसे मल्लनि दाव विसारयौ, मारि कंस निरबंस कियौ।
सुनहु 'सूर' ये है अवतारी इनतै प्रभु नहिं और दियौ।।3111।।