- मन्त्र-पाठ के साथ पवित्र जल-सिंचन या स्नान। यजुर्वेद, अनेक ब्राह्मण एवं चारों वेदों की श्रौत क्रियाओं में हम अभिषेचनीय कृत्य को राजसूय के एक अंग के रूप में पाते हैं।
- महाभारत के सभा पर्व में दुर्योधन द्वारा युधिष्ठिर के 'अभिषेक' का वर्णन कहा गया है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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