मीराँबाई की पदावली
राग भैरवी
अब मैं सरण तिहारी जी, मोहिं राखो कृपानिधान।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अजामील = एक प्रसिद्ध भक्त। सदान = भक्त सदन कसाई। गजराज = भक्त गजेन्द्र। गणिका = भक्त वेश्या। कुवजा व भीलनी = भक्तों के नाम। भीलनी = शवरी ( देखो- पद 187 )। रावली = आपकी। दोनों कान = भली-भाँति दोनो कान लगाकर।
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