अब तुम हो परम सयाने -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png



अब तुम हो परम सयाने।
तुम ठाकुर सब जग जाने।।
तुम सबनि के ठाकुर कृपानिधि, सुजस सब जग गाइयै।
या लोक के उपहास कारन बरजि ताहि मिटाइयै।।
यह कही भल बूझिवी जु माधो और अनत न सूझियै।
सुनि ‘सूर’ स्याम सुजान इहिं कुल अब न ऐसी बूझियै।। 4187।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः