मीराँबाई की पदावली
धव-संवाद
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ करम को = भाग्य का। वो = वह। छे = है। काकूं = किसको, किसे। ऊधो = कृष्ण के प्रसिद्ध मित्र उद्धव जो उनका संदेश लेकर गोपियों के यहाँ गये थे। दीजै = दिया जाय। सुणियो = सुन कर जान लरे। बगड़ बगल वा आस पास में ही रहने वाली। गेले = रास्ते में। गेले... चोट = राह चलते चोट लगी। पहली... कीन्हौ = पहले वा आरम्भ में समझबूझ न सकी। ममता... पोट = आत्मीयता की गांठ जोड़ ली। पोट = गाँठ, गँठरी। जाण्यँ = जाना, समझा था। भलिपोच = भला बुरा। परो = पेर, दूर। निवारो नी = निवारण करो न। सोच = चिंता।
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