अति आदर सौ बैठक दीन्हौ।
मेरै गृह चंद्रावलि आई, अति ही आनंद कीन्हौ।।
स्याम-संग-सुख प्रगट्यौ चाहति, पुनि धीरज धरि राखति।
जोइ जोइ कहति बचन गदगद सौ, बार बार मुख भाषति।।
सखी संग की कहति राधिका, आजु कहा तै पायौ।
सुनहु 'सूर' इतने आदर सौ, कबहूँ नहीं बुलायौ।।2209।।