अजहूँ रयनि परी प्यारे तीनि जाम है जू काहे कौं हरबरी तिहारै उर स्याम है जू।
कैहौ बात प्रकृति ले, जौ पै रिस देखिहौ तौ लागिहै घरीक लाड़िली तिहारी बाम है जू।।
पैज किये जाति, ताहि अब लिये आवति हौं, सुख तौ तिहारै सुख और कहा काम है जू।
सुनहु 'सूरज' प्रभु अब कै मनाइ ल्याऊँ, बहुरि रुठाइ हौ तौ, मेरी राम राम है जू।।2792।।