मीराँबाई की पदावली
शवरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ चाख चाख = चख चख कर। बोर = बेर के फल। भीलणी = भील जाति की स्त्री, शवरी। अचारवती = आचार वती, आचार विचार से रहने वाली। एक रती = कुछ भी। कुचीलणी = मैले कुचैले वस्त्र वाली। झूठे = जूठे। प्रतीत जाण = विश्वास मानकर। जाने = माना, विचार किया। रस की रसीलणी = भक्ति वा प्रेम रस का आनन्द लेने वाली थी। छिन... चढ़ी = शीघ्र स्वर्ग को चली गई। हेत = संबंध। झूलणी = आनन्द करने वाली। जोई = जो कोई भी हो। गोकुल अहीरणी = गोकुल की ग्वालिन, पूर्व जन्म की गीपी, मीराँ (देखो- पद 19)
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