अँखिया करति हैं अति आरि -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


अँखियांं करति है अति आरि।
सुदर स्याम पाहुनै कै मिस, मिलि न जाहु दिन चारि।।
बाहँ थकी बायसहिं उडावत, कब देखौ उनहारि।
मैं तौ स्याम स्याम करि टेरति, कालिंदी कै करार।।
कमलबदन ऊपर द्वै खंजन, मानौ बूड़त बारि।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे दरस बिनु, सकै न पख पसारि।। 3243।।

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