हरो अभिमान मिटा दो मान -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग भीमपलासी - ताल कहरवा


हरो अभिमान मिटा दो मान, दान दो विनय, महादानी!
हरो अज्ञान, मिटा दो शान, बना दो मुझे सत्य-ज्ञानी॥
मिटें सब पाप, सकल संताप, दिखा दो मुझे रूप अपना।
चराचर अग-जग में तुम एक सत्य अति, शेष सभी सपना॥
दुःख-सुख सभी तुम्हारे रूप, तुम्हीं छाये सब में सर्वत्र।
देख पाऊं मैं सब में तुम्हें, जन्म में यत्र, मृत्यु में तत्र॥
तुम्हें भूलूँ न कभी मैं नाथ! तुम्हीं बन रहो चित्त-मन-बुद्धि।
तुम्हीं बन जा‌ओ ’मैं’, मैं रहूँ न कुछ भी पृथक्‌, परम हो शुद्धि॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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