श्रीमद्भगवद्गीता -रामानुजाचार्य
ग्यारहवाँ अध्याय
एवं भक्तियोगनिष्पत्तये तद्विवृद्धये च सकलेतरविलक्षणेन भगवदसाधारणेन कल्याणगुणगणेन सह भगवतः सर्वात्मत्वं तद्वयति रिक्तस्य कृत्स्त्रस्य चिदचिदात्मकस्य वस्तुजातस्य तच्छरीरतया तदायत्त स्वरूपस्थितिप्रवृत्तित्वं च उक्तम्।
इस प्रकार भक्तियोग की सिद्धि और उसकी वृद्धि के लिये अन्य सबसे विलक्षण भगवान् के असाधारण स्वाभाविक कल्याणमय गुणगणों के सहित भगवान् की सर्वात्मता का वर्णन हुआ तथा भगवान् से अतिरिक्त सम्पूर्ण जड चेतन वस्तुमात्र उनका शरीर ही शरीर होने के कारण सबके स्वरूप की स्थिति और प्रवृत्ति के आधार भगवान् ही हैं, यह बात भी कही गयी।
तम् एतं भगवदसाधारणस्वभांव कृत्स्त्रस्य तदायत्तस्वरूपस्थितिप्रवृत्तितां च भगवत्सकाशाद् उपश्रुत्य एवम् एव इति निश्चित्य तथाभूतं भगवन्तं साक्षात्कर्तुकामः अर्जुन उवाच। तथा एव भगवत्प्रसादाद् अनन्तरं द्रक्ष्यति ‘सर्वाश्चर्यमयं देवमनन्तं विश्वतो मुखम्।।’ ‘तत्रैकस्थं जगत्कृस्त्रं प्रविभक्तमनेकधा।’ [1] इति हि वक्ष्यते।
भगवान के इस असाधारण स्वभाव को और समस्त जगत् की स्वरूप-स्थिति और प्रवृत्ति उन्हीं के आश्रित हैं, इस बात को भगवान् से सुनकर ‘यह इसी प्रकार ठीक है’ ऐसा निश्चय करके वैसे भगवान् को प्रत्यक्ष देखने की इच्छा वाला अर्जुन बोला। भगवान् की कृपा से अब अर्जुन वैसा ही देखेगा। क्योंकि ‘सर्वाश्चर्यमयं देवमनन्तं विश्वतोमुखम्।।’ ‘तत्रैकस्थं जगत्कृत्स्त्रं प्रविभक्तमनेकधा।’ ऐसा आगे कहेंगे।
मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम् ।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥1॥
अर्जुन बोले-मेरे अनुग्रह के लिये अध्यात्म नामक जो परम गुह्य वचन आपने कहा है, उससे मेरा यह मोह दूर हो गया है।। 1।।
देहात्माभिमानरूपमोहेन मोहितस्य मम अनुग्रहैकप्रयोजनाय परमं गुह्यं परमं रहस्यम् अध्यात्मसज्जितम् आत्मनि वक्तव्यं वचः ‘न त्वेवाहं जातु नासम्’ [2] इत्यादि ‘तस्माद्योगी भवार्जुन’ [3] इत्येतदन्तं यत् त्वया उक्तम्, तेन अयं मम आत्मविषयों मोहः सर्वो विगतः दूरतो निरस्तः।। 1।।
देह में आत्माभिमानरूप मोह से मोहित हुए मुझ दास पर केवल अनुग्रह करने के उद्देश्य से ही जो आपने ‘न त्वेवाहं जातु नासम्’ यहाँ से लेकर ‘तस्माद्योगी भवार्जुन’ तक परम गुह्य-परम रहस्यमय अध्यात्मसंज्ञक यानी आत्मविषय में कहने योग्य वचन कहे हैं, उनसे यह मेरा आत्म विषयक मोह सम्पूर्ण नष्ट हो गया-उसका अत्यन्त अभाव हो गया है।। 1।।
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