शर्याति

शर्याति वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक थे। इनकी दो जुड़वा संतानें हुईं- सुकन्या नामक पुत्री और आनर्त नामक पुत्र। इनके दो पुत्र और भी थे- उत्तानबर्हि और भूरिषेम[1][2]

  • सुकन्या च्यवन ऋषि को ब्याही गई थी। इसी सुकन्या ने ध्यानमग्न च्यवन ऋषि की आँखों में जिन्हें दीमकों ने ढक लिया था, कुछ अद्भुत पदार्थ समझ कर काँटें चुभो दिये थे। इस व्यवहार से क्रुद्ध होकर च्यवन ने शर्याति के परिवार तथा अनुचरों का मलमूत्र रोक दिया था। यह सारा समाचार मिलते ही शर्याति ने च्यवन ऋषि से क्षमा माँगी और अपनी पुत्री सुकन्या का विवाह उनसे कर दिया।
  • अश्विनीकुमारों ने भी सुकन्या से विवाह का प्रस्ताव किया था और उसके अस्वीकार कर देने पर तथा च्यवन का हाल सुन उन लोगों ने च्यवन को वृद्ध से युवा बना दिया। शायद इसी अवसर पर ‘च्यवनप्राश’ नाम की प्रसिद्ध औषधि बनी थी।
  • आनर्त के पुत्र रेवत हुए, जिन्हें आनर्त देश का राज्य मिला और जिसकी राजधानी कुशस्थली (द्वारका) हुई।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भागवतपुराण 9.3.27
  2. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 490 |

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