देवकी का विवाह वसुदेव से हो जाने के पश्चात जब कंस ने आकाशवाणी सुनी और ये जान लिया कि देवकी की आठवीं संतान ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगी तो वह तलवार लेकर देवकी का वध करने के लिए तैयार हो गया।
- कंस को रोकते हुए वसुदेव ने कहा- "महाभाग! आप क्या करने जा रहे हैं? विश्व में कोई अमर होकर नहीं आया है। आपको स्त्री वध जैसा जघन्य पाप नहीं करना चाहिये। यह आपकी छोटी बहन है और आपके लिये पुत्री के समान है। आप कृपा करके इसे छोड़ दें। आपको इसके पुत्र से भय है। मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि इससे जो भी पुत्र उत्पन्न होगा, उसे मैं आपको लाकर दे दूँगा।"
- कंस ने वसुदेव के वचनों पर विश्वास करके देवकी को छोड़ तो दिया, किन्तु उसने दोनों को आजीवन कारावास में डाल दिया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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