वर्ष

वर्ष गणना के लिये संवत्सर की उत्पत्ति होती है। ऋतु, मास, तिथि आदि सब वर्ष के ही अंग हैं।

  • ब्राह्म, पित्र्य, दैव, प्राजापत्य, गौरव, सौर, सावन, चन्द्र और नक्षत्र- इन भेदों से नौ प्रकार की वर्ष-गणना होती है। इनमें ब्राह्म, दैव, पित्र्य और प्राजापत्य- ये चार वर्ष कल्प तथा युग सम्बन्धी लंबी गणना के काम में प्रयुक्त होते हैं। शेष गौरव (बार्हस्पत्य), सौर, सावन, चन्द्र और नक्षत्र वर्ष साधारण व्यवहार के लिये हैं।
  • भारत को छोड़कर अन्य देशों में से प्राय: मुस्लिम देशों में चन्द्र वर्ष तथा दूसरों में सौर और सावन वर्षों से काल गणना की जाती है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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