मोहन-मन धन हारिणी -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

Prev.png
राग माँड़ - ताल कहरवा


मोहन-मन-धन-हारिणी, सुखकारिणी अनूप।
भावमयी श्रीराधिका, आनन्दाम्बुधि-रूप॥
आकर्षक ऋषि-मुनि-हृदय अनुपम रूप ललाम।
कृष्णरसार्णव रस-स्वयं लोकोत्तर सुखधाम॥
दीन-हीन मति मलिन मैं असत-पंथ आरूढ़।
दुःखद भोगोंमें सदा अति आसक्त विमूढ़॥
युगल कृपानिधि! कीजिये मुझपर कृपा उदार।
पद-रज-सेवाका सतत मिले मुझे अधिकार॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः