बालाशंकर
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पूरा नाम | बालाशंकर |
जन्म | संवत 1914 |
जन्म भूमि | गुजरात |
मृत्यु स्थान | बड़ौदा में 40 वर्ष की उम्र में प्लेग से बालाशंकर कालकवलित हुए। |
कर्म भूमि | भारत |
भाषा | गुजराती |
प्रसिद्धि | भक्त कवि |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | बालाशंकर की कविता मे गोपी प्रेम के दिव्य भाव यत्र-तत्र भरे पड़े हैं। ईरान का तत्त्वज्ञान और हाफ़िज की दिव्य मस्ती उनके काव्य में अद्भुत रीति से गुंथी हुई है। |
बालाशंकर (जन्म- संवत 1914, गुजरात) महान मस्त कवि थे। वे गुजरात के प्रसिद्ध भक्त कवि थे। उनकी कविता में गोपी प्रेम के दिव्य भाव यत्र-तत्र भरे पड़े हैं। इसके अतिरिक्त ईरान का तत्त्वज्ञान, हाफ़िज की दिव्य मस्ती उनके काव्य में अद्भुत रीति से गुंथी हुई है।
विषय सूची
काव्य
महान मस्त कवि बालाशंकर का जन्म संवत 1914 में हुआ था। वे गुजरात के प्रसिद्ध प्रेमी भक्त थे। उनकी कविता मे गोपी प्रेम के दिव्य भाव यत्र-तत्र भरे पड़े हैं। ईरान का तत्त्वज्ञान और हाफ़िज की दिव्य मस्ती उनके काव्य में अद्भुत रीति से गुंथी हुई है। कवि हाफ़िज की बहुत-सी फ़ारसी कविताएं गुजराती पद्य में अनूदित की गयी हैं। इन्होंने मौलाना रूम की मसनबी तथा शम्श तब्रेज और दूसरे सूफ़ी कवियों के ग्रन्थों का अच्छा अभ्यास किया था। इसके अतिरिक्त अंग्रेज़ कवि बायरन, शेली, शेक्सपियर आदि के काव्यों का अनुवाद भी इन्होंने गुजराती में किया था।
- प्रभु परायण
गुजराती के प्रखर विद्वान होने के साथ-साथ बालाशंकर का जीवन निःस्पृह मस्त और प्रभु परायण था। संसार के लोगों से ये सदा सावधान रहते थे। गुजरात के महान कवियों में आपकी गणना की जाती है।
मृत्यु
बड़ौदा में चालीस वर्ष की उम्र में प्लेग से बालाशंकर कालकवलित हो गये। इनकी कविता का एक नमूना अनुवाद रूप में निम्न प्रकार है-
"हे भाई ! परमात्मा तुम्हारे ऊपर जो सुख या दुःख डाले, उसे तुम आनन्द से स्वीकार करो। अपने प्यारे प्रभु को जो पसंद हो, उसी को तुम सबसे अधिक प्रिय समझो। सांसारिक लोगों की छल-कपट भरी वाणी में बड़ा ही दुःख प्रतीत होता है, पर तुम उससे अपने अंदर के आनन्द को जरा भी कम न होने दो। अपने आत्मानन्द में मस्त रहो, यही सच्चा सुख है। प्रभु के नामस्मरण रूपी अमृत के प्याले को भर-भर कर पीते रहो।"
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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