बलवान् (महाभारत संदर्भ)

  • निर्वीय तु कुले जातो वीर्यवांस्तु विशिष्यते।[1]

निर्बल कुल में जन्म लेकर भी जो बलवान् है वही श्रेष्ठ है।

  • नेशे बलस्येति चरेदधर्मम्।[2]

अपने को बलवान् मानकर अधर्म न करें।

  • शक्तै: कर्माणि कारयेत्।[3]

शक्तिशाली लोगों से ही कार्य करवायें।

  • आत्मानं तारयेद् य: स शक्तिमान्।[4]

जो अपना उद्धार कर सकता है वही शक्तिशाली है।

  • बलवन्तो बलिभ्यो हि दृश्यंते।[5]

(संसार में) बलवानों से भी बलवान् देखे जाते हैं।

  • बलवान् वा कृति वेति कृति राजन् विशिष्यते।[6]

राजन! बलवान् और अभ्यासी इन दोनों में अभ्यासी ही बड़ा है।

  • सत्त्वै: सत्त्वा हि जीवंति दुर्बलैर्बलवत्तरा:।[7]

बलवान् जीव दुर्बलों के सहारे जीवन यात्रा करते हैं।

  • अपकृत्य बलस्थ्स्य दूरस्थोऽस्मीति नाश्वसेत्।[8]

बलवान् का अपराध करके दूर हूँ, ऐसा मानकर आश्वस्त न हो।

  • अभियुञ्जीत न तु ये बलवत्तरा:।[9]

बलवान् पर आक्रमण न करें।

  • न तु शक्तोपि मेधावी सर्वानेवारेभेत्।[10]

कुशल व्यक्ति समर्थ हो तो भी एक साथ सभी कार्य आरम्भ न करें।

  • सर्वं बलवतो वशे।[11]

सारा संसार बलवान् के वश में होता है।

  • नास्त्यसाध्यं बलवताम्।[12]

बलवान् के लिये कुछ भी करना असम्भव नहीं है।

  • बलवात्सन्निकर्षो हि न कदाचित् प्रशस्यते।[13]

बलवान् की निकटता कभी भी अच्छी नहीं मानी जाती।

  • बलिना विग्रहो राजन् न कदाचित् प्रशस्य्ते।[14]

राजन्! बलवान् से कलह करना कभी भी अच्छा नहीं माना जाता।

  • न ह्मत्यंतं बलवंतो भवंति सुखिनोऽपि वा।[15]

न तो कोई अत्यंत बलवान् ही होता है और न अत्यंत सुखी ही।

  • बलं बलवतोऽपीह प्रणश्यत्यन्नहानित:।[16]

अन्न के न होने से बलवानों का बल भी नष्ट हो जाता है।

  • बलान्यतिबलं प्राप्य दुर्बलानि भवंति।[17]

अनेक बलवान् मिलकर भी अतिबलवान् के सामने दुर्बल हो जाते हैं।

  • दुर्बलाश्चैव सततं नांवेष्टव्या बलीयसा।[18]

बलवान् व्यक्ति सदा दुर्बल के पीछे न पड़ा रहे।

  • बलवंतो ह्मनियमा: नियमा दुर्बलीयसाम्।[19]

बलवानों के लिये नियम नहीं होते, नियम तो दुर्बलों के लिये होते हैं।

  • सर्वं बलवतां पथ्यं सर्व बलवतां शुचि:।[20]

बलवानों को सब कुछ लाभदायक है, बलवानों का सारा कार्य पतित्र है।

  • सर्वं बलवतां धर्म: सर्वं बलवतां स्वकम्।[21]

बलवानों का सब कुछ धर्म है, बलवानों का सब कुछ अपना है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व महाभारत 16.9
  2. वनपर्व महाभारत 25.11
  3. वनपर्व महाभारत 150.45
  4. वनपर्व महाभारत 200.21
  5. उद्योगपर्व महाभारत 97.9
  6. शल्यपर्व महाभारत 33.9
  7. शांतिपर्व महाभारत 15.20
  8. शांतिपर्व महाभारत 39.20
  9. शांतिपर्व महाभारत 93.21
  10. शांतिपर्व महाभारत 103.37
  11. शांतिपर्व महाभारत134.3
  12. शांतिपर्व महाभारत 134.8
  13. शांतिपर्व महाभारत 138.175
  14. शांतिपर्व महाभारत 139.111
  15. शांतिपर्व महाभारत 259.14
  16. अनुशासनपर्व महाभारत 63.32
  17. अनुशासनपर्व महाभारत 85.15
  18. आश्रमवासिकपर्व महाभारत 6.17
  19. आश्वमेधिकपर्व महाभारत 22.23
  20. आश्रमवासिकपर्व महाभारत 30.24
  21. आश्रमवासिकपर्व महाभारत 30.24

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