बल मोहन बन तैं दोउ आए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग गौरी



बल मोहन बन तैं दोउ आए।
जननि जसोदा मातु रोहिनी, हरषित कंठ लगाए।
काहै आजु अवार लगाई, कमल बदन कुम्हिलाए।
भूखे भए आजु दोउ भैया, करन कलेउ न पाए।
देखहु जाइ कहा जेवन कियौ, रोहिनि तुरत पठाई।
मैं अन्हवाए देति टु‍हुँनि कौं, तुम अति करो चँड़ाई।
लकुट लियौ, मुरली कर लीन्‍हीं हलधर दियौ विषान।
नीलांबर पीताबर लीन्‍हे सैंति धरति करि प्रान।
मुकुट उतारि धरयौ लै मंदिर पोंछति है अँग-धातु।
अरु वनमाल उतारति गर तैं सूर स्‍याम की मातु।।511।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः