बदला रे तू जल भरि ले आयो -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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बदला रे तू जल भरि ले आयो ।। टेक ।।
छोटी छोटी बूँदन बरसन लागीं, कोयल सबद सुनायो ।
गाजै बाजै पवन मधुरिया, अंबर बदरां छायो ।
सेझ सँवारी पिय घर आये, हिलमिल मंगल गायो ।
मीराँ के प्रभु हरि अबिनासी, भाग भलो जिन पायो ।।147।।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बदलारे = अरे बादल। बूँदना = बूँदें। मधुरिया = मंद मंद। बदराँ = बादलों से। सेझ = सेज, शय्या। सँवारी = सजादी। मंगल =मंगल गान, उत्सव के गाने ( देखो - ‘दुलहनी गावहु मंगल चार, हम घरि आये हो राजा राम भरतार- 'कबीर)। भाग भलो...पायो = बड़े भाग्य से पाया (देखो- 'बहुत दिनन के बिछुरे हरि पाये, भाग बड़े घरि बैठे आये’ - कबीर )।

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