बड़े घर ताली लागी रे, म्हारा मण री उणारथ भागी रे (टेर)
छीलरिये म्हारो चित नहीं रे, डाबरिये कुण जाव।
गंगा जमुनाँ सूँ काम नहीं रे, मैं तो जाय मिलूँ दरियाव।।1।।
हाल्याँ मोल्याँ सूँ काम नहीं रे, सीख नहीं सिरदार।
कामदाराँ सूँ काम नहीं रे, मैं तो जाब करूँ दरबार।।2।।
काच कथीर सूँ काम नहीं रे, लोहा चढ़े सिर भार।
सोना रूपा सूँ काम नहीं रे, म्हारे हीराँ रो बोपार।।3।।
भाग हमारे जागियो रे, भयो समद सूँ सीर।
अमृत प्याला छाँड़ि कै, कुण पीवै कड़वो नीर।।4।।
पीपा कूँ प्रभु परच्यौ दीन्हौ, दिया रे खजीना भरपूर।
मीराँ के प्रभु गिरधरनागर, धणी मिल्या छै हजूर।।5।।[1]
राग - कामोद : ताल - कहरवा
(चरित)