तिहारे चरन कमल को माहत्म्य -परमानंददास

तिहारे चरन कमल को माहत्म्य -परमानंददास

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तिहारे चरन कमल को माहत्म्य शिव जाने के गौतम नारी ।
जटाजुट मध्य पावनी गंगा अजहु लिये फिरत त्रिपुरारी ॥1॥
के जाने शुकदेव महामुनि के जाने सनकादिक चार ।
के जाने विरोचन को सुत सर्वस्व दे मेटी कुलगार ॥2॥
के जाने नारद मुनि ज्ञानी गुप्त फिरत त्रैलोक मंझार ।
के जाने हरिजन परमानंद जिनके हृदय बसत भुजचार ॥3॥

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