तहँ स्याम सुंदर कमल -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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तहँ स्याम सुंदर कमल लोचन पीतपट बनमाल।
मोर पक्ष सिर करन कुंडल तिलक ससि-सम-भाल।।
अंग कुमकुम खौरि सोहै गुंज हार बनाइ।
कोटि काम लवन्य मूरति बँध्यौ तिहिं मन धाइ।।
धाइ तिहिं मन बँध्यौ रति-रस-रूप-सागर में परयौ।
मगन भयौ फिरि नाहि आयौ प्रेम आनँद सों भरयौ।।
भक्त-हित अवतार लीन्हौ संग बाल गुपाल।
‘सूर’ के प्रभु स्याम सुंदर पीत पट बनमाल।। 109 ।।

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