तव अनन्त आशा का दीपक -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

अभिलाषा

Prev.png
राग जैतश्री - ताल धमार


 
तव अनन्त आशा का दीपक अमर जला दो जीवन में।
मरण-‌अनन्तर सुप्रभात हो तव पद-पंकज सेवन में॥
ले लो सब आनन्द, और यह प्रीति गीति सब ले लो नाथ!।
भीतर-बाहर एकमात्र हो तुम ही मेरे जीवन-नाथ!॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः