तब राधा सखियनि पैं आई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मारू


तब राधा सखियनि पैं आई।
आवत देखि सबनि मुख मूंद्यौ, जहँ तहँ रहीं अरगाई।।
मुख देखत सब सकुचि गईं, यह कहा अचानक आई।
करति रहीं चुगली हम याकी, तरुनी गईं लजाई।।
अति आदर सौं बैठक दीन्ही, कह्यौ कहाँ तुम आई।
कहा आजु सुधि करी हमारी, सूर स्याम-सुखदाई।।1746।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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