तपन लाग्यौ घाम, परत अति धूप भैया -नंददास राग सारंग तपन लाग्यौ घाम, परत अति धूप भैया, कहँ छाँह सीतल किन देखो । भोजन कूँ भई अबार, लागी है भूख भारी, मेरी ओर तुम पेखो ॥ बर की छैयाँ, दुपहर की बिरियाँ, गैयाँ सिमिट सब ही जहँ आवै । ’नंददास’ प्रभु कहत सखन सों, यही ठौर मेरे जीय भावै ॥ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंनंददास के पद रुचिर चित्रसारी सघन कुंज में मध्य कुसुम-रावटी राजै • ऊधव के उपदेश सुनो ब्रज नागरी • झूलत राधामोहन • माई फूल को हिंडोरो बन्यो • श्री लक्ष्मण घर बाजत आज बधाई • फल फलित होय फलरूप जाने • छोटो सो कन्हैया एक मुरली मधुर छोटी • जुरि चली हें बधावन नंद महर घर • भाग्य सौभाग्य श्री यमुने जु देई • ताते श्री यमुने यमुने जु गावो • सूर आयौ माथे पर, छाया आई पाँइन तर • भक्त पर करि कृपा श्री यमुने जु ऐसी • अरी चल दूल्हे देखन जाय • माई आज तो गोकुल ग्राम • प्रात समय श्री वल्ल्लभ सुत को • नंद भवन को भूषण माई • तपन लाग्यौ घाम, परत अति धूप भैया • नेह कारन श्री यमुने प्रथम आई • आज वृंदाविपिन कुंज अदभुत नई वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः