- नित्यं क्रोधात् तपो रक्षेद्।[1]
सदा तप को क्रोध से बचाकर रखना चाहिये।
- नातप्ततपसो लोके प्राप्नुवन्ति महासुखम्।[2]
तप के बिना संसार में महान् सुखं नहीं मिलता।
- नासाध्यं तपस: किंचिद्।[3]
तप से कुछ भी असाध्य नहीं है। (सबकुछ मिल सकता है)
- तपसा वेदविद्वांस: परं त्वमृतमाप्नुयु:।[4]
वेद के विद्वानों ने तप से ही अमृत को पाया है।
- परोक्षं जायते तप:।[5]
तप का फल परोक्ष है। (बाद में मिलता है।)
- तपो यज्ञादपि श्रेष्ठमित्येषा परमा श्रुति:।[6]
तप यज्ञ से भी श्रेष्ठ है और यह श्रुति का उत्तम वचन है।
- तपसैव सुतप्तेन नर: पापात् प्रमुच्यते।[7]
अच्छी प्रकार की गई तपस्या से मनुष्य पाप से मुक्त हो जाता है।
- तपोरक्षेच्च मत्सरात्।[8]
डाह से तप को बचाकर रखें (किसी से जलने से तप नष्ट होता है)
- शारीरैर्नियमैरूग्रैश्चरेन्निष्कल्मषं तप:।[9]
शरीर के कठोर नियमों का पालन करते हुये निर्मल तप करना चाहिये।
- रजस्तमोघ्नं यत् कर्म तपसस्त्तत् स्वलक्षणम्।[10]
रजोगुण और तमोगुण का नाश करने वाला जो कर्म है वह तप है।
- अन्तकाले ह्मुपासन्ते तपसा दग्धकिल्बिषा:।[11]
तप से पाप को नष्ट करने वाले अंतकाल में उपासना करते हैं।
- आत्मतन्त्रोपघातास्तु न तपस्तत्सतां मत:।[12]
अपने शरीर को नष्ट करने वाले तप को सज्जन अच्छा नहीं मानते।
- त्यागश्च संनतिश्चैव शिष्यते तप उत्तमम्।[13]
त्याग और विनम्रता को उत्तम तप कहा गया है।
- मनसश्चेन्द्रियाणांचाप्यैकाग्र्यं परमं तप:।[14]
मन और इन्द्रियों की एकाग्रता परम तप है।
- तप: सर्वगतं तात हीनस्यापि विधीयते।[15]
तात! तप पर सब का अधिकार है, हीन कुल में उत्पन्न व्यक्ति का भी
- सुखक्षेय प्राप्ते पुमानुर्गं तपश्चरेत्।[16]
सुख के दिन बीत जाने पर व्यक्ति घोर तप करे।
- जीवितक्षये तपो महत् समाचार।[17]
जीवन समाप्त होने से पूर्व महान् तप करो।
- मानसं हि चरन् धर्म स्वर्गलोकमुपाश्नुते।[18]
मानसिक धर्म का पालन करने से ऋजु स्वर्गलोक का उपभोग करता है।
- तपसा तदवाप्यं हि यत्तु शक्यं मनोरथै:।[19]
जिस वस्तु की कल्पना की जा सकती है वह तप से मिल सकती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वनपर्व महाभारत 213.29
- ↑ वनपर्व महाभारत 259.13
- ↑ वनपर्व महाभारत 259.17
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत 43.13
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत 43.48
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 79.17
- ↑ उद्योगपर्व महाभारत 161.6
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 189.10
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 217.16
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 217.16
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 217.27
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 221.4
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 221.5
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 250.4
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 295.14
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 259.26
- ↑ शांतिपर्व महाभारत 321.42
- ↑ अनुशासनपर्व महाभारत 7.20
- ↑ अनुशासनपर्व महाभारत 54.27
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