गोविन्द प्रभु
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पूरा नाम | गोविन्द प्रभु |
जन्म | विक्रमी संवत 1254 के लगभग |
जन्म भूमि | काठसुरे ग्राम, ऋद्धिपुर, विदर्भ (वर्तमान बरार) प्रदेश (महाराष्ट्र) |
मृत्यु | विक्रमी संवत 1342 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | महाराष्ट्र |
प्रसिद्धि | भक्त |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | गोविन्द प्रभु भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। |
गोविन्द प्रभु पण्ढरपुर के वारकरी भागवत पन्थ के साथ-साथ या उससे कुछ पहले ही विदर्भ देश में जो महानुभाव पन्थ उदय हुआ था, उसके आद्य पुरुष थे।
- इनका जन्म विक्रमी संवत 1254 (1197 ई.) के लगभग विदर्भ (वर्तमान बरार) प्रदेश में ऋद्धिपुर स्थान के समीप काठसुरे नामक ग्राम में हुआ था।
- गोविन्द प्रभु उर्फ गुण्डम प्रभु या गुण्डोबा के नाम से वे प्रसिद्ध थे।
- वे काण्वशाखीय ब्राह्मण थे।
- बचपन में गोविन्द प्रभु के माता-पिता परलोकवासी हुए, तब इनकी मौसी इन्हें ऋद्धिपुर ले आयीं और यहीं इनका पालन-पोषण, उपनयन तथा विद्याध्ययन हुआ।[1]
- इसी अवस्था में इन्हें परमार्थ सुख का चस्का लगा और क्रमश: उस सुखानुभव की वृद्धि होती गयी ओर ये सिद्ध-कोटि को प्राप्त हुए।
- गोविन्द प्रभु भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे।
- पण्ढरपुर के वारकरी भागवत पन्थ के साथ-साथ या उससे कुछ पहले ही विदर्भ देश में जो महानुभाव पन्थ उदय हुआ था, उसके गोविन्द प्रभु आद्य पुरुष थे।
- विक्रमी संवत 1342 (1285 ई.) में गोविन्द प्रभु समाधिस्थ हुए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 पुस्तक- भक्त चरितांक | प्रकाशक- गीता प्रेस, गोरखपुर | विक्रमी संवत- 2071 (वर्ष-2014) | पृष्ठ संख्या- 697
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