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पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
वंदना एवं प्रार्थना
राग बिहाग - तीन ताल
करुणामय! उदार चूड़ामणि! प्रभु! मुझको यह दो वरदान। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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राग बिहाग - तीन ताल
करुणामय! उदार चूड़ामणि! प्रभु! मुझको यह दो वरदान। |