ऊधव के उपदेश सुनो ब्रज नागरी -नंददास

ऊधव के उपदेश सुनो ब्रज नागरी -नंददास

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ऊधव को उपदेश सुनो ब्रज-नागरी
रूप सील लावण्य सबै गुन आगरी
प्रेम-धुजा रस रुपिनी, उपजावत सुख पुंज
सुन्दरस्याम विलासिनी, नववृन्दावन कुंज
सुनो ब्रज-नागरी
   
कहन स्याम संदेस एक मैं तुम पे आयौ
कहन समै संकेत कहूँ अवसर नहिं पायौ
सोचत हीं मन में रह्यों, कब पाऊँ इक ठाऊँ
कहि संदेस नंदलाल को, बहुरि मधुपुरी जाऊँ
सुनो ब्रज-नागरी

ताहि छिन इक भँवर कहूँते तहँ आयौ
ब्रजवनितन के पुंज माहि, गुंजत छबि छायौ
चढ्यो चहत पग पगनि पर,अरुन कमल दल जानि
मनु मधुकर उधो भयो, प्रथमहिं प्रगट्यो आनि
मधुप को भेष धरि


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