अति रँग भीनी अति रँग भीनौ -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

Prev.png
राग पंचाध्यायी




अति रँग भीनी अति रँग भीनौ। मोहन लाल बन्यौ रँग भीन्यौ।।
गोपिनि सबकौं अति सुख दीन्हौ। सबहिनि कौ मनभायौ कीनौ।।
लालन कै उर मरगजी माला। निरखत थकित भई ब्रजबाला।।
लालन पाग केसरि सोहै। देखत रतिपति कौ मन मोहै।।
लालन पीक कपोल बिराजै। अधरनि अंजनरेषा छाजै।।
तापर एक चंद्रिका धारी। अतिहिं बने बानक बनवारी।।
अँग अँग सोभा कहै कहा री। छवि पर 'सूरदास' बलिहारी।। 49 ।।


Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः