अति कोमल तनु धरयौ कन्हाई।
गए तहाँ जहँ काली सोवत, उरग-नारि देखत अकुलाई।
कह्यौ कौन कौ बालक है तू, बार-बार कहि, भाग न जाई।
छनकहि मैं जरि भस्म होइगौ, जब देखै उठि जाग जम्हाई।
उरग-नारि की बानी सुनि कै, आपु हँसे मन मैं मुसुकाई।
मोकौं कंस पठायौ देखन, तू याकौं अब देहि जगाई।
कहा कंस दिखरावत इनकौं, एक फूँकही मैं जरि जाई।
पुनि-पुनि कहत सूर के प्रभु कौ, तू अब काहे न जाइ पराई।।550।।