अति आनंद भए हरि धाए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग नट



अति आनंद भए हरि धाए।
टेरत ग्वाल-बाल सब आवहु, मैया मोहि पठाए।।
उत तैं सखा हँसत सब आवत, चलहु कान्ह! बन देखहिं।
बनमाला तुम कौं पहिरावहिं, धातु-चित्र तनु रेखहिं।।
गाइ लई सब घेरि घरनि तैं, महर गोप के बालक।
सूर स्याम चले गाइ चरावन, कंस उरहि के सालक।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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