अचानक आइ गए तहँ स्याम।
कृष्न कथा सब कहति परस्पर, राधा संग मिली ब्रजबाम।।
मुरली अधर धरे नटवरबपु, कटि कछनी पर वारौ काम।
सुभग मोर चन्द्रिका सीस पर, आइ गए पूरन सुखधाम।।
तरु-तमाल-तर तरुन कन्हाई, दूरि करन जुवतिनि तनुताम।
‘सूर’ स्याम बंसीधुनि पूरत, राधा राधा लै लै नाम।।1790।।