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- मेरे साथ बिहार करैं प्रिय -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मेरे हृदय नाहिं आवत हो -सूरदास
- मेरे हे जीवन-जीवन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मेरै जिय यहै परेखौ आवै -सूरदास
- मेरै माई लोभी नैन भए -सूरदास
- मेरैं जिय ऐसी आनि बनी -सूरदास
- मेरैं माई लोभी नैन भए -सूरदास
- मेरैं हठ कयौं निबहन पैहौ -सूरदास
- मेरैं हठ क्यौं निबहन पैहौ -सूरदास
- मेरैं हिय लागैं मनमोहन -सूरदास
- मेरो कहा करत ह्वैहै -सूरदास
- मेरो नाम रामहिं राम रटैरे -मीराँबाई
- मेरो बेड़ो लगाज्यो पार -मीराँबाई
- मेरो बेड़ो लगाज्योर पार -मीराँबाई
- मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै -सूरदास
- मेरो मन बसिगो गिरधरलाल सों -मीराँबाई
- मेरो मन लागो हरिसूं -मीराँबाई
- मेरौ अति प्यारौ नँदनंद -सूरदास
- मेरौ अति प्यारौ नंद नंद -सूरदास
- मेरौ कहा करत ह्वैहै -सूरदास
- मेरौ कह्यौ नाहिंन सुनति -सूरदास
- मेरौ कह्यौ सत्य करि जानौ -सूरदास
- मेरौ कह्यौ सत्यि करि जानौ -सूरदास
- मेरौ गोपाल तनक सौ -सूरदास
- मेरौ दधि लीजै कुंज दानि -सूरदास
- मेरौ मन कहिबे ही कौं है -सूरदास
- मेरौ मन कहिवे ही कौ है -सूरदास
- मेरौ मन गोपाल हरयौ री -सूरदास
- मेरौ मन तब तै न फिरयौ री -सूरदास
- मेरौ मन तब तैं न फिरयौ री -सूरदास
- मेरौ मन न रह कान्ह बिना -सूरदास
- मेरौ मन बैसीयै सुरति करै -सूरदास
- मेरौ मन मति-हीन गुसाई -सूरदास
- मेरौ मन वैसिऐ सुरति करै -सूरदास
- मेरौ मन हरि-चितवनि अरुझानौ -सूरदास
- मेरौ मन हरि-चितवनि अरूझानौ -सूरदास
- मेरौ मन हरि लियौ नंदढुटौना -सूरदास
- मेरौ माई ऐसौ हठी -सूरदास
- मेरौ माई कौन कौ दधि चोरै -सूरदास
- मेरौ माई निधनी कौ धन माधौ -सूरदास
- मेरौ हरि नागर सौं मन मान्यौ -सूरदास
- मेष
- मेषश्रृंग
- मेषहृत
- मेह बरसै मंद मंद -सूरदास
- मै अपनै जिय गर्व कियौ -सूरदास
- मै अपनै मन गरब बढ़ायौ -सूरदास
- मै उनके गुन नीकै जानति -सूरदास
- मै जानी जिय जहँ रति मानी -सूरदास
- मै जानी तेरे जिय की बात सोइ -सूरदास
- मै जानी पिय बात तुम्हारी -सूरदास
- मै जाने हौ जू नीकै तुम्है -सूरदास
- मै तुम्हरे गुन जाने स्याम -सूरदास
- मै नँदनंदन सौ कछु न कह्यौ -सूरदास
- मै हरि सौ हो मान कियौ री -सूरदास
- मैं अति दीन, मलिन मति -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं अतिही यह पोच करी -सूरदास
- मैं अपणे सैया संग सांची -मीराँबाई
- मैं अपनी सब गाइ चरैहौं -सूरदास
- मैं अपनी सी बहुत करी री -सूरदास
- मैं अपने सैय्याँ सँग साँची -मीराँबाई
- मैं अपनै कुलकानि डरानी -सूरदास
- मैं अपनै बल रहति स्याम सँग -सूरदास
- मैं अपनैं कुलकानि डरानी -सूरदास
- मैं अपनैं जिय गर्व कियौ -सूरदास
- मैं अपनैं बल रहति स्याम सँग -सूरदास
- मैं अपनौ मन हरि सौं जोरयौ -सूरदास
- मैं अपराधिनि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं अमली हरिनाँव की मुझि बाइड आवै -मीराँबाई
- मैं आपनौ मन हरत न जान्यौ -सूरदास
- मैं उनके गुन नीकैं जानति -सूरदास
- मैं कह आजु नवै री आई -सूरदास
- मैं कह तोहिं मनावन आई -सूरदास
- मैं कैसें रस रासहि गाऊं -सूरदास
- मैं कैसें रस रासहिं गाऊँ -सूरदास
- मैं गिरधर के घर जाऊँ -मीराँबाई
- मैं गिरधर रंग राती सैयां मैं -मीराँबाई
- मैं गोबिंद गुण गाणा -मीराँबाई
- मैं छोड़, प्रिये! तुमको -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं जमुनातट जाति सही री -सूरदास
- मैं जाणयो नाहीं प्रभु को मिलण कैसे होइरी -मीराँबाई
- मैं जानति हौं ढीठ कन्हाई -सूरदास
- मैं जानी जिय जहँ रति मानी -सूरदास
- मैं जानी तेरे जिय की बात सोइ -सूरदास
- मैं जानी पिय बात तुम्हारी -सूरदास
- मैं जानी पिय मन की बात -सूरदास
- मैं जाने हौं जू नींकैं तुम्हैं ए हो प्यारे लालन -सूरदास
- मैं जान्यौ री आए है हरि -सूरदास
- मैं जान्यौ री आए हैं हरि -सूरदास
- मैं तुम पै व्रजनाथ पठायौ -सूरदास
- मैं तुम्हरे गुन जाने स्याम -सूरदास
- मैं तुम्हरे मन की सब जानी -सूरदास
- मैं तेरे घर कौ हौं ढाढ़ी -सूरदास
- मैं तेरै रंग राती गुसँइयाँ -मीराँबाई
- मैं तो गिरधर के घर जाउ -मीराँबाई
- मैं तो गिरधर के घर जाउुं -मीराँबाई
- मैं तो छुप गई लाज की मारी -मीराँबाई
- मैं तो तेरी सरण परी रे रामा -मीराँबाई
- मैं तो म्हांरा रमैयाने -मीराँबाई
- मैं तो राजी भई मेरे मन में -मीराँबाई
- मैं तो राम-चरन चित दीन्हौं -सूरदास
- मैं तो साँवरे रंग राची -मीराँबाई
- मैं तो सांवरे के रंग राची -मीराँबाई
- मैं तो हरि चरणन की दासी -मीराँबाई
- मैं तौ अपनी कही बड़ाई -सूरदास
- मैं तौ आजु करी नंद कानि -सूरदास
- मैं तौ जो हरे, ते तौ सोवत परे हैं -सूरदास
- मैं तौ जो हरे हैं -सूरदास
- मैं तौ तुम्हैं हँसतअरुखेलतहिं छाँड़ि गई -सूरदास
- मैं तौ सुमरया छे मदनगोपाल -मीराँबाई
- मैं थी पहले मलिना -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं दुहिहौं मोहिं दुहन सिखावहु -सूरदास
- मैं देख्यौ जसुदा कौ नंदन -सूरदास
- मैं न तुमसे एक क्षण भी दूर हूँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं परदेसिनि नारि अकेली -सूरदास
- मैं प्रियतम, तू प्रेयसि मेरी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं बरज्यौ जमुना-तट जात -सूरदास
- मैं बलि जाउँ कन्हैया की -सूरदास
- मैं बलि जाउँ स्याम-मुख-छबि पर -सूरदास
- मैं बलि स्याम, मनोहर नैन -सूरदास
- मैं बिरहणि बैठी जागूं -मीराँबाई
- मैं भरुहाऐं लागत हौं -सूरदास
- मैं भूली थी अपने भ्रम से -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं मन बहुत भाँति समुझायौ -सूरदास
- मैं मन मोल गुपालहिं दीन्हौ -सूरदास
- मैं मोही तेरैं लाल री -सूरदास
- मैं व्रजवासिन की बलिहारी -सूरदास
- मैं शरण आ पड़ा शरणद नाथ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं सब लिखि सोभा -सूरदास
- मैं सब लिखि सोभा जु बनाई -सूरदास
- मैं समुझाई अति अपनौ सौ -सूरदास
- मैं हरि की मुरली बन पाई -सूरदास
- मैं हरि बिनि क्यूं जिवूं री माइ -मीराँबाई
- मैं हरि सौं हो मान कियौ री -सूरदास
- मैं हूँ पूर्णानन्द परम शुचि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैंद
- मैंने कभी न चाहा तुम को -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैंने राम रतन धन पायौ -मीराँबाई
- मैत्रेय
- मैत्रेय (बहुविकल्पी)
- मैत्रेय (सूर्य)
- मैत्रेय ऋषि
- मैत्रेयी का दुर्योधन को शाप
- मैत्रेयी का धृतराष्ट्र तथा दुर्योधन से सद्भाव का अनुरोध
- मैथिले कृती
- मैथिलेन प्रयुक्त
- मैनाक
- मैनाक पर्वत
- मैन्द
- मैया! तू भोली है -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैया, मैं तो चंद-खिलौना लैहौं -सूरदास
- मैया, मोहिं बड़ौ करि लै री -सूरदास
- मैया एक मंत्र मोहिं आवै -सूरदास
- मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी -सूरदास
- मैया कबहिं बढै़गी चोटी -सूरदास
- मैया तेरौ मोहन अतिहिं -सूरदास
- मैया बहुत बुरौ बलदाऊ -सूरदास
- मैया मैं नहिं माखन खायो -सूरदास
- मैया मोहि माखन मिसरी भावे -चतुर्भुजदास
- मैया मोहिं ऐसी दुलहिन भावै -परमानंददास
- मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायौ -सूरदास
- मैया री, मोहिं माखन भावै -सूरदास
- मैया री मैं चंद लहौंगौ -सूरदास
- मैया री मैं जानत वाकौं -सूरदास
- मैया री मोहिं दाऊ टेरत -सूरदास
- मैया हौं गाइ चरावन जैहौं -सूरदास
- मैया हौं न चरैहौं गाइ -सूरदास
- मैरेयक
- मो अनाथ के नाथ हरी -सूरदास
- मो कों कछु न चहिये राम -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मो ते भर्ईं चूक अन-गिनती राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मो ते भर्ईं चूक अन-गिनती राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मो देखत जसुमति तेरैं ढोटा -सूरदास
- मो पर ग्वालि कहा रिसाति -सूरदास
- मो मति अजहुँ जानकी दीजै -सूरदास
- मो मन उनही कौ जु भयौ -सूरदास
- मो मन गिरिधर छबि पै अटक्यो -कृष्णदास
- मो मन राधा-छबि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मो सम कौन कुटिल खल कामी -सूरदास
- मोकौं निंदि पर्बतहिं बंदत -सूरदास
- मोकौं निदि पबंतहि बंदत -सूरदास
- मोकौं माई जमुना जम ह्वै रही -सूरदास
- मोक्ष
- मोक्ष-संन्यासिनी गोपियां
- मोक्ष (महाभारत संदर्भ)
- मोक्ष की प्राप्ति
- मोक्ष की प्राप्ति में वैराग्य की प्रधानता
- मोक्ष के साधन का वर्णन
- मोक्षकर्ता
- मोक्षद्वारत्रिविष्टप
- मोक्षधर्म की श्रेष्ठता का प्रतिपादन
- मोक्षसाधक ज्ञान की प्राप्ति का उपाय
- मोतै नैन गए री ऐसै -सूरदास
- मोतै यह अपराध परयो -सूरदास
- मोतैं नैन गए री ऐसैं -सूरदास
- मोतैं यह अपराध परयो -सूरदास
- मोदा
- मोदापुर
- मोपै गिरिधर! कृपा करौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोर
- मोर के चंदन मोर बन्यौ -रसखान
- मोरन के चंदवा माथै बने -सूरदास
- मोरन के चंदवा माथैं बने -सूरदास
- मोरन के चंदवा माथैं बने 1 -सूरदास
- मोरन तुम कैसे हौ दानी -सूरदास
- मोरपखा मुरली बनमाल -रसखान
- मोरपखा सिर ऊपर राखि हौं -रसखान
- मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं -रसखान
- मोरपिच्छ सिर, कर्णिकार श्रुति -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोरी ज्यान मोहोब्बत लगाई रे -मीराँबाई
- मोरी लागी लटक गुरु चरणकी -मीरां
- मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा -मीरां
- मोरे ललन -मीरां
- मोसी हितू न तेरै ह्वैहै -सूरदास
- मोसौ पतित न और हरे -सूरदास
- मोसौ सुनहु नृपति कौ नाउं -सूरदास
- मोसौं कहा दुरावति नारि -सूरदास
- मोसौं कहा दुरावति प्यारी -सूरदास
- मोसौं कहा दुरावति राधा -सूरदास
- मोसौं बात सकुच तजि कहियै -सूरदास
- मोसौं बात सुनहु ब्रज-नारी -सूरदास
- मोसौं सुनहु नृपति कौ नाउँ -सूरदास
- मोह (महाभारत संदर्भ)
- मोहन
- मोहन, आउ तुम्हें अन्हवाऊँ -सूरदास
- मोहन, मानि मनायौ मेरौ -सूरदास
- मोहन-कर तै दोहनि लीन्हीं -सूरदास
- मोहन-मन धन हारिणी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोहन-मुख-पंकज पै सरबस दीन्हौ वार री -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोहन (बहुविकल्पी)
- मोहन (स्थान)
- मोहन अपनी घेरि लै ग़इयाँ -सूरदास
- मोहन अपनी मैया घेरि लै -सूरदास
- मोहन आवन की कोई कीजो रे -मीराँबाई
- मोहन इतौ मोह चित धरिऐ -सूरदास
- मोहन इतौ मोह चित धरियै -सूरदास
- मोहन काहे कौ लजियात -सूरदास
- मोहन काहे कौं लजियात -सूरदास
- मोहन काहै न उगिली माटी -सूरदास
- मोहन की मुरली मैं मोहिनी बसत है -सूरदास
- मोहन की मुसुकान मधु -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोहन के खेलन मैं रस रह्यौ -सूरदास
- मोहन के मुख ऊपर बारी -सूरदास
- मोहन के मुख जोग -सूरदास
- मोहन के हिय में भरी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोहन गए आजु -सूरदास
- मोहन जा दिन बनहिं न जात -सूरदास
- मोहन जा दिन बनहिंं न जात -सूरदास
- मोहन जागि हौ बलि ग़ई -सूरदास
- मोहन तेरै आधीन भए री एती रिस कब तै -सूरदास
- मोहन तेरैं आधीन भए री एती रिस कब तैं -सूरदास
- मोहन तै माटी क्यों खाई -सूरदास
- मोहन नीकौ री अति नीकौ -सूरदास
- मोहन नैंकु बदन तन हेरौ -सूरदास
- मोहन नैकु बदन तन हेरौ -सूरदास
- मोहन प्यारै कौ सुरँग -सूरदास
- मोहन बदन बिलोकत अखियनि उपजत है अनुराग -सूरदास
- मोहन बदन बिलोकि थकित भए -सूरदास
- मोहन बाल गुबिंदा भाई -सूरदास
- मोहन बालगुबिंदा भाई -सूरदास
- मोहन बिन मन न रहै -सूरदास
- मोहन मन मोहि लियौ -सूरदास
- मोहन माँग्यौ अपनौ रूप -सूरदास
- मोहन माई री हठ करि मनहि हरत -सूरदास
- मोहन माई री हठ करि मनहिं हरत -सूरदास
- मोहन मुरलि बजाइ रिझाई -सूरदास
- मोहन मुरली अधर धरी -सूरदास
- मोहन मोहिनि अंग सिंगारत -सूरदास
- मोहन मोहिनि बातै करै जु -सूरदास
- मोहन मोहिनी रस भरे -सूरदास
- मोहन यह सुख कहाँ धरयौ -सूरदास
- मोहन यह सुख कहां धरयौ -सूरदास
- मोहन रच्यौ अदभुत रास -सूरदास
- मोहन राखु पद-रज-तरै -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोहन लाल के संग -सूरदास
- मोहन सौ मुख बनत न मोरे -सूरदास
- मोहन हो-हो, हो-हो होरी -रसखान
- मोहन हौं तुम ऊपर वारी -सूरदास
- मोहनास्त्र
- मोहि अलि दुहूँ भाँति फल होत -सूरदास
- मोहि छुवौ जनि दूर रहौ जू -सूरदास
- मोहि बरजत निसि गए जमुन-तट -सूरदास
- मोहि बिना ये और न जानै -सूरदास
- मोहि लई नैननि की सैन -सूरदास
- मोहि लखि सोवत बिथोरिगो सुबेनीबनी -पद्माकर
- मोहि लागी लगन गुरु चरनन की -मीराँबाई
- मोहिं कहति जुवती सब चोर -सूरदास
- मोहिं छुवौ जनि दूर रहौ जू -सूरदास
- मोहिं तीहिं जानबि नंद-नंदन -सूरदास
- मोहिं दोहनी दै री मैया -सूरदास
- मोहिं प्रभु तुमसों होड़ परी -सूरदास
- मोहिं प्रभु तुमसों होड़ हरी -सूरदास
- मोहिं बन छाँड़ि आए ग्वाल -सूरदास
- मोहिं बरजत निसि गए जमुन-तट -सूरदास
- मोहिं बिना ये और न जानैं -सूरदास
- मोहिनी
- मोहिनी अवतार
- मोहिनी मोहन की प्यारी -सूरदास
- मोहिनीषु महामोहकृत
- मोही सजनी साँवरैं -सूरदास
- मोही सजनी सांवरैं (मोहिं) गृह बन कछु न सुहाइ -सूरदास
- मोहू सौ निठुराई ठानी हो मोहन प्यारे -सूरदास
- मोहू सौं निठुराई ठानी हो मोहन प्यारे -सूरदास
- मोहूँ तै वै ढीठ कहावत -सूरदास
- मोहूँ तैं वै ढीठ कहावत -सूरदास
- मोहे लागी लगन गुरु-चरनन की -मीराँबाई
- मौंजायन
- मौञ्जायन
- मौद्गल्य
- मौद्गल्य (ऋषि)
- मौद्गल्य (जाति)
- मौद्गल्य (बहुविकल्पी)
- मौन ग्रहण कर रटूँ निरन्तर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मौरवी
- मौसल पर्व महाभारत
- मौसल युद्ध में मरे यादवों का अंत्येष्टि संस्कार
- मौसलपर्व महाभारत
- म्लेच्छ
- म्लेच्छ (जनपद)
- म्लेच्छ (बहुविकल्पी)
- म्हाँने बोल्याँ मति मारो जी राणाँ -मीराँबाई
- म्हाँरा ओलगिया घर आया जी -मीराँबाई
- म्हाँरे नैणाँ आगे रहीजी जी -मीराँबाई
- म्हांरा ओलगिया घर आया जी -मीराँबाई
- म्हांरे नैणां आगे रहीजी जी -मीराँबाई
- म्हारा ओलगिया घर आया जी -मीराँबाई
- म्हारा जनम मरण का साथी -मीराँबाई
- म्हारा सतगुर बेगा आज्योगी -मीराँबाई
- म्हारी सेजड़ल्याँ रँग माणूँजी -मीराँबाई
- म्हारे गैल परयो गिरधारी हे माय -मीराँबाई
- म्हारे गैल परयौ गिरधारी हे माय -मीराँबाई
- म्हारै घर होता जाज्यो राज -मीराँबाई
- म्हारै नैणाँ आगे रहीजो जी -मीराँबाई
- म्हाँरा सतगुर बेगा आज्यो जी -मीराँबाई
- म्हाँरी सुध ज्यूँ जानो -मीराँबाई
- म्हाँरे घर आज्यो प्रीतम प्यारा -मीराँबाई
- म्हाँरे घर होता जाज्यो राज -मीराँबाई
- म्हाँरो जनम मरन को साथी -मीराँबाई
- म्हांरा सतगुर बेगा आज्यो जी -मीराँबाई
- म्हांरी सुध ज्यूं जानो -मीराँबाई
- म्हांरे घर आज्यो प्रीतम प्यारा -मीराँबाई
- म्हांरे घर होता जाज्यो राज -मीराँबाई
- म्हांरो जनम मरन को साथी -मीराँबाई
- म्हारे घर रमतो ही आई रे तू -मीराँबाई
- महरि तैं ब्रज चाहति कछु और -सूरदास