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- देखि दसा सुकुमारि की -सूरदास
- देखि देखि मधुबन की बाटहि -सूरदास
- देखि देखि मधुबन की बाटहिं -सूरदास
- देखि नृप तमकि हरि चमक तहँई गए -सूरदास
- देखि फिरे हरि ग्वाल दुवारै -सूरदास
- देखि माई हरि जू की लोटनि -सूरदास
- देखि मोहि प्रियतमा राधिका -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देखि रथ चढ़े बलराम अरु स्याम कौं -सूरदास
- देखि री उमंग्यौ सुख आजु -सूरदास
- देखि री कमलनि, मधुर मधुर बैन -सूरदास
- देखि री देखि आनँद-कंद -सूरदास
- देखि री देखि कुंडल लोल -सूरदास
- देखि री देखि कुंडलझलक -सूरदास
- देखि री देखि मोहन-ओर -सूरदास
- देखि री देखि सोभा-रासि -सूरदास
- देखि री देखि हरि बिलखात -सूरदास
- देखि री नंद-नंदन-ओर -सूरदास
- देखि री नंद कुल के उधारी -सूरदास
- देखि री नखरेख बनी उर -सूरदास
- देखि री नवल नंदकिसोर -सूरदास
- देखि री प्रगट द्वादस मीन -सूरदास
- देखि री हरि के चंचल तारे -सूरदास
- देखि री हरि के चंचल नैन -सूरदास
- देखि रूप सब नगर के लोग -सूरदास
- देखि रे, वह सारँगधर आयौ -सूरदास
- देखि रे प्रगट द्वादस मीन -सूरदास
- देखि सखि चारि चंद्र इक जोर -सूरदास
- देखि सखि तीस भानु इक ठौर -सूरदास
- देखि सखि पाँच कमल, द्वै संभु -सूरदास
- देखि सखि लोचन फिरत न फेरि -सूरदास
- देखि सखि साठि कमल इक जोर -सूरदास
- देखि सखी अधरनि की लाली -सूरदास
- देखि सखी उत है वह गाँउ -सूरदास
- देखि सखी उत है वह गाउँ -सूरदास
- देखि सखी बन तैं जु बने ब्रज -सूरदास
- देखि सखी ब्रज तै बन जात -सूरदास
- देखि सखी ब्रज तैं बन जात -सूरदास
- देखि सखी मोहन मन चोरत -सूरदास
- देखि सखी यह सुंदरताई -सूरदास
- देखि सखी राधा अकुलानी -सूरदास
- देखि सखी सुंदर घन स्याम -सूरदास
- देखि सखी हरि-अंग अनूप -सूरदास
- देखि सखी हरि कौ मुख चारु -सूरदास
- देखि साख तास भानु इक ठौर -सूरदास
- देखि स्याम कौ बदन री माई -सूरदास
- देखि स्याम मन हरष बढ़ायौ -सूरदास
- देखि हरि जू कै नैननि की छवि -सूरदास
- देखियत चहुँ दिसि -सूरदास
- देखियत चहुँ दिसि तै घन घोरे -सूरदास
- देखियत दोउ अहँकार परे -सूरदास
- देखियत दोऊ घन उनए -सूरदास
- देखियत दोऊ धन उनए -सूरदास
- देखियत लाल उनींदे भए -सूरदास
- देखियति कालिंदी अति कारी -सूरदास
- देखियति कालिंदी अतिकारी -सूरदास
- देखी आजु अनोखी बात -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देखी मैं लोचन चुबत अचेत -सूरदास
- देखी हरि मथति ग्वालि दधि ठाढ़ो -सूरदास
- देखु वै आवत हैं बनमाली -सूरदास
- देखे चारि कमल इक साथ -सूरदास
- देखे नंद चले घर आवत -सूरदास
- देखे सात कमल इक ठौर -सूरदास
- देखे स्याम अचानक जात -सूरदास
- देखेहुँ अनदेखे से लागत -सूरदास
- देखो ग्वालि जमुना जात -सूरदास
- देखो माई दधि-सुत मैं दधि जात -सूरदास
- देखो री सखि आजु नैन भरि -सूरदास
- देखो सहियां हरि मन काठो कियो -मीराँबाई
- देखौ अदभुत अविगत की गति -सूरदास
- देखौ अद्भुत अविगत की गति -सूरदास
- देखौ कपिराज, भरत वै आए -सूरदास
- देखौ कूबरी के काम -सूरदास
- देखौ नंदद्वार रथ ठाढ़ौ -सूरदास
- देखौ बृंदाबन खेलहि गोपाल -सूरदास
- देखौ भाई बदरनि की बरियाई -सूरदास
- देखौ माई आवत है घनस्याम -सूरदास
- देखौ माई इहिं कुबिजा हम जारी -सूरदास
- देखौ माई कान्ह हिलकियनि रौवै -सूरदास
- देखौ माई माधौ राधा क्रीरत -सूरदास
- देखौ माई या बालक को बात -सूरदास
- देखौ माई रुप सरोवर साज्यौ -सूरदास
- देखौ माई सुंदरता की रास -सूरदास
- देखौ माई सुंदरता कौ सागर -सूरदास
- देखौ माई स्याम सुरति -सूरदास
- देखौ माई स्याम सुरति अब आवै -सूरदास
- देखौ माधौ की मित्राइ -सूरदास
- देखौ मेरे भाग की सुभ घरी -सूरदास
- देखौ यह बिपरीत भई -सूरदास
- देखौ री, लोग चतुर मधुवन के -सूरदास
- देखौ री आवत वे दोऊ -सूरदास
- देखौ री जसुमति बौरानी -सूरदास
- देखौ री नँद-नंदन आवत -सूरदास
- देखौ री मल्ल इन्है मारन कौं लोरै -सूरदास
- देखौ री राधा उत अँटकी -सूरदास
- देखौ वृंदाबन कमल नैन -सूरदास
- देखौ सखि अकथ रूप अतूथ -सूरदास
- देखौ सोभा सिंधु समात -सूरदास
- देख्यौ जाइ स्याम घर भीतर -सूरदास
- देन आए ऊधौ मत नीकौ -सूरदास
- देव
- देव (महाभारत संदर्भ)
- देव दनुज किंनर ऋषि मुनि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देव सावर्णि मनु
- देवक
- देवक (असुर)
- देवक (बहुविकल्पी)
- देवकि माइ पाँइ लागति हौ -सूरदास
- देवकी
- देवकी-नन्दन की जय -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देवकी का स्वप्न -स्वामी राधेश्याम
- देवकी मन-मन चकित भई -सूरदास
- देवकी विवाह
- देवकीनंदन
- देवकीनन्दन
- देवकीरोहिणीभ्यां स्तुत
- देवकीसौख्यद
- देवकृत
- देवगोविन्द नामा
- देवग्रह
- देवता
- देवता-नहुष संवाद
- देवता (महाभारत संदर्भ)
- देवता और दैत्यों के अंशावतारों का दिग्दर्शन
- देवता और पितरों के कार्य में आमन्त्रण देने योग्य पात्रों का वर्णन
- देवताओं का ब्रह्मा को शिव का सारथि बनाना
- देवताओं का रीछ और वानर योनि में संतान उत्पन्न करना
- देवताओं का विष्णु जी की शरण में जाना
- देवताओं की शिव से त्रिपुरों के वध हेतु प्रार्थना
- देवताओं के साथ श्रीकृष्ण और अर्जुन का युद्ध
- देवताओं द्वारा अग्नि की खोज
- देवताओं द्वारा विष्णु की स्तुति
- देवताओं द्वारा शिव से त्रिपुरों के वध हेतु प्रार्थना करना
- देवताओं द्वारा सीता की शुद्धि का समर्थन
- देवदत्त
- देवदारुवन
- देवदूत
- देवदूत द्वारा युधिष्ठिर को नरक का दर्शन कराना
- देवदूत द्वारा स्वर्गलोक के गुण-दोष तथा विष्णुधाम का वर्णन
- देवनदी
- देवनागरी सहायता
- देवन्त
- देवपूज्य
- देवप्रस्थ
- देवभाग
- देवभ्राट
- देवमत
- देवमित्र
- देवमित्रा
- देवमीढ़
- देवयाजी
- देवयानी
- देवयानी-शर्मिष्ठा का कलह
- देवयानी-शर्मिष्ठा संवाद
- देवयानी का कच से पाणिग्रहण के लिए अनुरोध
- देवयानी शुक्राचार्य से वार्तालाप
- देवर
- देवरक्षक
- देवरक्षित
- देवरक्षिता
- देवराज
- देवराज इंद्र
- देवरात
- देवरात (ऋषि)
- देवरात (बहुविकल्पी)
- देवर्षि नारद
- देवल
- देवलोक
- देववन
- देववान
- देववान (उग्रसेना)
- देववान (बहुविकल्पी)
- देववान (बहुविकल्पी)
- देववैकुण्ठनाथ
- देवव्रत
- देवव्रत (ऋषि)
- देवव्रत (बहुविकल्पी)
- देवव्रत की भीष्म प्रतिज्ञा
- देवशर्मा
- देवशर्मा का विपुल को निर्दोष बताकर समझाना
- देवसम पर्वत
- देवसेना
- देवसेनाप्रिय
- देवस्थान
- देवस्थान मुनि द्वारा युधिष्ठिर के प्रति उत्तम धर्म-यज्ञादि का उपदेश
- देवहव्य
- देवहूति
- देवहूति कह, भक्ति सो कथियै2 -सूरदास
- देवहूति कह, भक्ति सो कथियै -सूरदास
- देवहूति यह सुनि पुनि कह्यौ -सूरदास
- देवहोत्र
- देवह्रद
- देवह्रद (तीर्थ)
- देवह्रद (बहुविकल्पी)
- देवातिथि
- देवाधिप
- देवापि
- देवापि (बहुविकल्पी)
- देवापि (योद्धा)
- देवापि (राजर्षि)
- देवारण्य
- देवार्ह
- देवावृध
- देवासुर संग्राम
- देवासुर संग्राम तथा महिषासुर वध
- देवाह्रय
- देवाह्वय
- देविका
- देविका (नदी)
- देविका (बहुविकल्पी)
- देविकाकुंड
- देवी
- देवी (अप्सरा)
- देवी (बहुविकल्पी)
- देवी सत्यभामा
- देवीलोक
- देवोत्थान एकादशी
- देह-प्राण, मन-बुद्धि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देह (महाभारत संदर्भ)
- देह धरे कौ कारन सोई -सूरदास
- देह धरे कौ यह फल प्यारी -सूरदास
- देह प्राण मन बुद्धि इन्द्रियाँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देह प्राण मन वस्तु परिस्थिति -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देहकर्ता
- देहचूर्ण
- देहरूपी कालचक्र का तथा गृहस्थ और ब्राह्मण के धर्म का कथन
- देउँ कहा तुम कहँ स्याम सुजान -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दै मैया भौंरा चक डोरी -सूरदास
- दै री मैया दोहनी, दुहिहौं मैं गैया -सूरदास
- दै री मैया दोहनी -सूरदास
- दैत्य
- दैत्यद्वीप
- दैत्यनाशी
- दैत्यसेना
- दैत्यहन्ता
- दैत्यहा
- दैत्यों का कृत्या द्वारा दुर्योधन को रसातल में बुलाना
- दैत्यों का दुर्योधन को समझाना
- दैव और पुरुषार्थ तथा पुनर्जन्म का विवेचन
- दैव की अपेक्षा पुरुषार्थ की श्रेष्ठता का वर्णन
- दैव की प्रधानता
- दैवी और आसुरी सम्पदा का फलसहित वर्णन
- दो पद्म
- दोउ कर जोरि भए सब ठाढे -सूरदास
- दोउ कर जोरि लेति जँमहाई -सूरदास
- दोउ कर जोरि लेति जँमुहाई -सूरदास
- दोउ जन भीजत अटके बातनि -सूरदास
- दोउ ढोटा गोकुल नाइक मेरे -सूरदास
- दोउ ढोटा गोकुलनायक मेरे -सूरदास
- दोउ बन तैं ब्रजधाम गए -सूरदास
- दोउ भैया जेंवत माँ आगैं -सूरदास
- दोउ भैया मैया पै माँगत -सूरदास
- दोउ वन तै व्रजधाम गए -सूरदास
- दोऊ राजत रति-रन-धीर -सूरदास
- दोऊ राजत स्यामा स्याम -सूरदास
- दोन-नाथ अब बारि तुम्हारी -सूरदास
- दोनों आप्यायित भए -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दोष (नाग)
- दोष (महाभारत संदर्भ)
- दोहनी कुण्ड काम्यवन
- दोऊ सदा एक रस पूरे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दौनागिरि हनुमान सिधायौ -सूरदास
- दौवालिक
- दौहित्र
- द्युति
- द्युतिमान
- द्युतिमान (बहुविकल्पी)
- द्युतिमान (राजा)
- द्युमत्सेन
- द्युमत्सेन (बहुविकल्पी)
- द्युमत्सेन (राजा)
- द्युमत्सेन (शाल्व नरेश)
- द्युमत्सेन और सत्यवान का संवाद
- द्युमत्सेन का राज्याभिषेक तथा सावित्री को सौ पुत्रों और सौ भाइयों की प्राप्ति
- द्युमन्मानहारी
- द्युमान
- द्यूत (महाभारत संदर्भ)
- द्यूतकर्ता
- द्यूतक्रीडा का आरम्भ
- द्यूतक्रीडा के लिए सभा का निर्माण
- द्यौस चारि करि प्रीति सगाई -सूरदास
- द्रमिल
- द्रविड
- द्रविड (कृष्ण पुत्र)
- द्रविण
- द्रुपद
- द्रुपद-युधिष्ठिर की बातचीत एवं व्यासजी का आगमन
- द्रुपद का द्रौपदी-पाण्डवों के दिव्य रूपों की झाँकी करना
- द्रुपद का पुरोहित को दौत्य कर्म के लिए अनुमति
- द्रुपद की सम्मति
- द्रुपद के पुरोहित का कौरव सभा में भाषण
- द्रुपद के पौत्रों तथा द्रुपद और विराट आदि का वध
- द्रुपद के यज्ञ से धृष्टद्युम्न और द्रौपदी का जन्म
- द्रुपद द्वारा नगररक्षा की व्यवस्था और देवाराधन
- द्रुम
- द्रुम (किम्पुरुषों का राजा)
- द्रुम (बहुविकल्पी)
- द्रुम (राजा)
- द्रुम चढ़ि काहे न टेरौ कान्हा -सूरदास
- द्रुमसेन
- द्रुमसेन (बहुविकल्पी)
- द्रुमसेन (राजा)
- द्रुह्यु
- द्रुह्यु (बहुविकल्पी)
- द्रुह्यु (मतिनार पुत्र)
- द्रोण
- द्रोण-जयद्रथ वध
- द्रोण आदि का पराक्रम और सातवें दिन के युद्ध की समाप्ति
- द्रोण और धृष्टद्युम्न का भीषण संग्राम
- द्रोण का ग्राह से छुटकारा
- द्रोण का द्रुपद द्वारा अपमानित होने का वृत्तांत
- द्रोण का द्रुपद से तिरस्कृत हो हस्तिनापुर में आना
- द्रोण का शिष्यों द्वारा द्रुपद पर आक्रमण
- द्रोण की राजकुमारों से भेंट
- द्रोण के युद्ध के विषय में दुर्योधन और कर्ण का संवाद
- द्रोण को परशुराम से अस्त्र-शस्त्र की प्राप्ति
- द्रोण द्वारा द्रुपद को आधा राज्य देकर मुक्त करना
- द्रोण पर्व के पाठ और श्रवण का फल
- द्रोण पर्व महाभारत
- द्रोणपर्व महाभारत
- द्रोणशर्मपद
- द्रोणाचार्य
- द्रोणाचार्य और अर्जुन का घोर युद्ध
- द्रोणाचार्य और धृष्टद्युम्न का घोर युद्ध
- द्रोणाचार्य और धृष्टद्युम्न का युद्ध
- द्रोणाचार्य और युधिष्ठिर का युद्ध
- द्रोणाचार्य और युधिष्ठिर के युद्ध में युधिष्ठिर की विजय
- द्रोणाचार्य और विराट का युद्ध तथा विराटपुत्र शंख का वध
- द्रोणाचार्य और सात्यकि का अद्भुत युद्ध
- द्रोणाचार्य और सात्यकि का युद्ध
- द्रोणाचार्य और सुशर्मा के साथ अर्जुन का युद्ध
- द्रोणाचार्य का अश्वत्थामा को अशुभ शकुनों की सूचना देना
- द्रोणाचार्य का अश्वत्थामा को धृष्टद्युम्न से युद्ध करने का आदेश
- द्रोणाचार्य का अस्त्र त्यागकर योगधारणा द्वारा ब्रह्मलोक गमन
- द्रोणाचार्य का कौरवों से उत्पात-सूचक अपशकुनों का वर्णन
- द्रोणाचार्य का घोर कर्म
- द्रोणाचार्य का दु:शासन को फटकारना
- द्रोणाचार्य का दुर्योधन को उत्तर और युद्ध के लिए प्रस्थान
- द्रोणाचार्य का दुर्योधन को द्यूत का परिणाम दिखाकर युद्ध हेतु वापस भेजना
- द्रोणाचार्य का दुर्योधन को पुन: संधि के लिए समझाना
- द्रोणाचार्य का धृष्टद्युम्न से घोर युद्ध तथा उनका मूर्च्छित होना
- द्रोणाचार्य का पराक्रम
- द्रोणाचार्य का पांडवों से घोर संग्राम
- द्रोणाचार्य का युद्ध से पलायन
- द्रोणाचार्य का सेनापति के पद पर अभिषेक
- द्रोणाचार्य की पाण्डवों को उपहार भेजने की सम्मति