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- तुंगविद्या
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- तुखार जाति
- तुण्ड
- तुण्ड (बहुविकल्पी)
- तुण्ड (राजा)
- तुण्डिकेर
- तुम अनन्त सौन्दर्य-सुधा-निधि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम अपनी असमोर्ध्व -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम अपने तप की सुधि नाहीं -सूरदास
- तुम अब हरि कौ दोष लगावति -सूरदास
- तुम अब हरि कौं दोष लगावति -सूरदास
- तुम अलि कमलनैन के साथी -सूरदास
- तुम अलि कासौ कहत बनाइ -सूरदास
- तुम अलि बात नहीं -सूरदास
- तुम अलि बातनि बैर बढ़ावत -सूरदास
- तुम अलि स्यामहिं जनि पतियाहु -सूरदास
- तुम आज्यो जी रामा -मीराँबाई
- तुम कत गाइ चरावन जात -सूरदास
- तुम कब मो सौं पतित उधारयौ -सूरदास
- तुम कबके जु भए हौ दानी -सूरदास
- तुम कभी मन में तनिक भी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम करते रहो रसिकवर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम कहियौ जैसै गोकुल आवै -सूरदास
- तुम कहुं देखे स्याम बिसासी -सूरदास
- तुम कुछ भी कहो भले -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम कुलवधू निलज जनि ह्वैहौ -सूरदास
- तुम कैसै दरसन पावति री -सूरदास
- तुम कैसैं दरसन पावति री -सूरदास
- तुम कौन घोष तै आए -सूरदास
- तुम घट ही मैं स्याम बताए -सूरदास
- तुम घर जाहु दान को दैहै -सूरदास
- तुम जनि सकुचौ प्यारे लालन -सूरदास
- तुम जागौ मेरे लाड़िले -सूरदास
- तुम जानकी, जनकपुर जाहु -सूरदास
- तुम जानति राधा है छोटी -सूरदास
- तुम जाहु बालक, छाँड़ि जमुना -सूरदास
- तुम जाहु बालक -सूरदास
- तुम जु कहत हरि हृदय रहत है -सूरदास
- तुम जु कहत हरि ह्रदय रहत है -सूरदास
- तुम जु दयाल दयानिधि कहियत -सूरदास
- तुम जो कहति राधिका भोरी -सूरदास
- तुम तजि और कौन पै जाउँ -सूरदास
- तुम तै को अति जान है 4 -सूरदास
- तुम तौ अपनै ही मुख झूठे -सूरदास
- तुम तौ कहत सँदेसौ आनि -सूरदास
- तुम देखत रैहौ हम जैहैं -सूरदास
- तुम देखे मैं नहीं पत्यानी -सूरदास
- तुम धर जाहु दान कौ दैहै -सूरदास
- तुम निज रूप इहिं भांति छिपायो -सूरदास
- तुम नीके दुहि जानत गैया -कुम्भनदास
- तुम न्याय कहावत कमल नैन -सूरदास
- तुम पठवत गोकुल कौ जैहौ -सूरदास
- तुम पावत हम घोष न जाहि -सूरदास
- तुम पावत हम घोष न जाहिं -सूरदास
- तुम पै कौन दुहावै गैया -सूरदास
- तुम प्रभु मोसौं बहुत करी -सूरदास
- तुम प्रियतम कै बैरिनि मेरी -सूरदास
- तुम बरषैं ब्रज कुसल परयौ -सूरदास
- तुम बिन भूलोइ भूलौ डोलत -सूरदास
- तुम बिन स्याम सुने कौ मेरी -मीराँबाई
- तुम बिनु नंद सुवन इहिं गोकुल -सूरदास
- तुम बिनु नंदसुवन इहिं गोकुल -सूरदास
- तुम बिनु बीतत छिन-छिन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम बिनु मेरै हितू न कोऊ -सूरदास
- तुम बिनु हम अनाथ ब्रजबासी -सूरदास
- तुम भली निवाही प्रीति -सूरदास
- तुम मेरी प्रभुता बहुत करी -सूरदास
- तुम मेरी बेसरि कौं धाई -सूरदास
- तुम यह शायद समझ रही -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम रीझे की उनहिं रिझाए -सूरदास
- तुम लछिमन निज पुरहिं-सिधारौ -सूरदास
- तुम लछिमन या कुंज-कुटी-सूरदास
- तुम लछिमन या कुंज-कुटी -सूरदास
- तुम लोगों से हुआ न होगा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम वरषै ब्रज कुसल परयौ -सूरदास
- तुम विनु सांकर को काकौ -सूरदास
- तुम सम निठुर दूजौ कौन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम सुणौ दयाल म्हाँरी अरजी -मीराँबाई
- तुम सुणौ दयाल म्हांरी अरजी -मीराँबाई
- तुम सुरपति कौ मान हरयौ -सूरदास
- तुम सौं कछु दुराब है मेरौ -सूरदास
- तुम सौं कछु दुराव है मेरौ -सूरदास
- तुम सौं कहत सकुचतिं महरि -सूरदास
- तुम सौं कहा कहौं सुंदर घन -सूरदास
- तुम हरि सांकरे कै साथी -सूरदास
- तुम हो यन्त्री, मैं यन्त्र -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम हौ अंतरजामि कन्हांई -सूरदास
- तुम हौ अंतरजामि कन्हाई -सूरदास
- तुमकौ कमलनयन कवि गावत -सूरदास
- तुमकौ कैसे स्याम लगे -सूरदास
- तुमकौ नंद महर मरूहाए -सूरदास
- तुमकौं कमलनयन कवि गावत -सूरदास
- तुमकौं नंद महर मरुहाए -सूरदास
- तुमने दिया सदा ही मुझको -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुमने मुझे दिया सुख नित ही -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुमरे कारण सब सुख छाडया -मीराँबाई
- तुमसे सदा लिया ही मैंने -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुमहि उलाट हम पर सतराने -सूरदास
- तुमहि तजि जाऊँ कहाँ अब प्यारे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुमहि बिना मन धिक अरू धिक घर -सूरदास
- तुमहि विमुख धिक धिक नर नारि -सूरदास
- तुमहिं उलटि हम पर सतराने -सूरदास
- तुमहिं कहत कोउ करै सहाइ -सूरदास
- तुमहिं दोष नहि हम अति बौरी -सूरदास
- तुमहिं बिना मन धिक अरु धिक घर -सूरदास
- तुमहिं बिमुख धिक धिक नर नारि -सूरदास
- तुमहिं बिमुख रघुनाथ -सूरदास
- तुमहिं मधुप गोपाल दुहाई -सूरदास
- तुमही धन तुमही मन मेरे -सूरदास
- तुमहीं मोकों ढीठ कियौ -सूरदास
- तुमहीं मोकौं ढीठ कियौ -सूरदास
- तुमुल युद्ध
- तुम्बुरु
- तुम्बुरु (गन्धर्व)
- तुम्बुरु (बहुविकल्पी)
- तुम्बुरू
- तुम्ह कहि आवत ऊधौ बात -सूरदास
- तुम्ह बिन इहाँ कुँवर बर मेरे -सूरदास
- तुम्हरी गति न कछु कहि जाइ -सूरदास
- तुम्हरी प्रीति -सूरदास
- तुम्हरी बलैया लागै नागर -सूरदास
- तुम्हरी भावती कह्यौ -सूरदास
- तुम्हरी रीति हरि पूरब जनम की -सूरदास
- तुम्हरे देस कागद -सूरदास
- तुम्हरे देस कागद मसि खूटी -सूरदास
- तुम्हरे पूजियै पिय पाइ -सूरदास
- तुम्हरे बिरह व्रजनाथ -सूरदास
- तुम्हारी प्रीति, किधौ तरवारि -सूरदास
- तुम्हारी प्रीति -सूरदास
- तुम्हारी स्मृति नित बन साकार -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम्हारी स्मृति ही है आधार -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम्हारोइ चित्र बनाउ कियौ -सूरदास
- तुम्हारौ गोकुल (व्याख्या) -सूरदास
- तुम्हारौ गोकुल -सूरदास
- तुम्हारौ गोकुल हो ब्रजनाथ -सूरदास
- तुम्हें क्या कहूँ, क्या न कहूँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम्हें यदि सुख हो, हे हृदयेश -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तुम्है कोउ हेरत है हो कान्ह -सूरदास
- तुम्हैं पहिचानति नाहीं बीर -सूरदास
- तुम्हरी कृपा गोपाल गुसाई -सूरदास
- तुम्हरी कृपा बिनु कौन उबारे -सूरदास
- तुम्हरै चित रजधानी नीकी -सूरदास
- तुम्हरैं चित रजधानी नीकी -सूरदास
- तुम्हरैं भजन सबहि सिंगार -सूरदास
- तुम्हरौ नाम तजि प्रभु जगदीसर -सूरदास
- तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान -सूरदास
- तुम्हारी माया महाप्रबल -सूरदास
- तुरत कमल अब देहु पठाइ -सूरदास
- तुरत गए नँद-सदन कन्हाई -सूरदास
- तुरत तहां सब बिप्र बुलाए -सूरदास
- तुरत ब्रज जाहु उपँगसुत आजु -सूरदास
- तुर्वसु
- तुलसी
- तुलसी विवाह
- तुलसीदास
- तुलाधार
- तुल्या नदी
- तुव दरस की आस पिय व्रत 2 -सूरदास
- तुव मुख देखि डरत ससि भारी -सूरदास
- तुषार
- तुषार (जाति)
- तुषार (बहुविकल्पी)
- तुष्टि
- तुष्टिमान
- तुहर
- तुहार
- तुही पियभावति नाहिंन आन -सूरदास
- तुहीं पियभावति नाहिंन आन -सूरदास
- तुहुण्ड
- तुह्मरी एक बड़ी ठकुराई -सूरदास
- तू अलि कहा परयौ है पैड़े -सूरदास
- तू आई है बात बनावन -सूरदास
- तू काहे कौं करति सयानी -सूरदास
- तू को है री, कौन पठाई -सूरदास
- तू चलि री बन बोली स्याम -सूरदास
- तू जननी अब दुख जनि मानहि -सूरदास
- तू मोसौं(दधि) दान मांगि किन -सूरदास
- तू मोसौं दधि दान मांगि किन -सूरदास
- तू मोहीं कौं मारन जानति -सूरदास
- तू री छाँह किये हरि राखति -सूरदास
- तू सुनि कान दै री मुरली धुनि -सूरदास
- तूँ नागर नंदकुमार -मीराँबाई
- तूं नागर नंदकुमार -मीराँबाई
- तूणि
- तूणीर
- तूर्य
- तृणक
- तृणप
- तृणबिन्दु
- तृणबिन्दु (बहुविकल्पी)
- तृणबिन्दु (सरोवर)
- तृणसोमांगिरा
- तृणावर्त
- तृणावर्त उद्धार
- तृणावर्त वधस्थल, महावन
- तृणावर्त वधस्थल महावन
- तृणावर्त संहारकारी
- तृतीया
- तृतीया (नदी)
- तृतीया (बहुविकल्पी)
- तृष्णा (महाभारत संदर्भ)
- तृष्णा के परित्याग के विषय में माण्डव्य मुनि और जनक का संवाद
- ते गुन बिसरत नाही उर तै -सूरदास
- ते गुन बिसरत नाहीं उर तैं -सूरदास
- ते जु पुकारे हरि पै जाइ -सूरदास
- ते दिन बिसरि गए इहाँ आए -सूरदास
- तेऊ चाहत कृपा तुम्हारी -सूरदास
- तेऊ चाहत कृपा तुम्हारी -सूरदास
- तेज
- तेज (बहुविकल्पी)
- तेज (सूर्य)
- तेजपति (सूर्य)
- तेजेयु
- तेरहवें दिन के युद्ध की समाप्ति एवं रणभूमि का वर्णन
- तेरा कोई नहिं रोकणहार -मीराँबाई
- तेरी चिन्ता, तेरी पीड़ा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तेरी जीवन मूरि मिलहि किन माई -सूरदास
- तेरी माइ सकल जग खोयौ -सूरदास
- तेरी शान -मदनगोपाल ʻव्रजेशʼ
- तेरी सौं सुनु सुनु मेरी मैया -सूरदास
- तेरे उर की शुचि सुन्दरता -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तेरे बिना नहीं क्षण भर भी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तेरे हित कौ कहति हौ -सूरदास
- तेरे हित कौ कहति हौं -सूरदास
- तेरै आवैगे आज सखी हरि -सूरदास
- तेरै भुजनि बहुत बल होइ कन्हैया -सूरदास
- तेरै मानिबेहू तै री मान नीकौ लागत है -सूरदास
- तेरैं आवैंगे आज सखी हरि -सूरदास
- तेरैं भुजनि बहुत बल होइ कन्हैया -सूरदास
- तेरैं मानिबेहू तैं री मान नीकौ लागत है -सूरदास
- तेरैं लाल मेरौ माखन खायौ -सूरदास
- तेरो कोई नहिं रोकणहार -मीराँबाई
- तेरो बुरौ न कोऊ मानै -सूरदास
- तेरो मरम नहिं पायौ रे जोगी -मीराँबाई
- तेरो मरम नाहिं पायो -मीराँबाई
- तेरौ तब तिहिं दिन -सूरदास
- तेरौ बदन देखि उडुपति जु दुरयौ -सूरदास
- तेरौ माई गोपाल रन-सूरौ -सूरदास
- तै कछु नहिं काहू कौ लीन्हौ -सूरदास
- तै कैकई कुमंत्र कियौ -सूरदास
- तै जु नीलपट ओट दियौ री -सूरदास
- तै दरद नहिं जान्यूँ -मीराँबाई
- तै मेरी लाग गँवाई हो -सूरदास
- तै ही स्याम भले पहिचाने -सूरदास
- तैं कछु नहिं काहू कौ लीन्हौ -सूरदास
- तैं कत तोरयौ हार नी सरि कौ -सूरदास
- तैं जु नीलपट ओट दियौ री -सूरदास
- तैं मेरी गैंद चुराई-मीराँबाई
- तैं मेरी गैंद चुराई -मीराँबाई
- तैं मेरैं हित कहति सही -सूरदास
- तैं मेरैं हित कहति सहो -सूरदास
- तैं ही स्याम भले पहिचाने -सूरदास
- तैजस तीर्थ
- तैत्तिरि
- तैत्तिलि
- तैही उनकौ मूड़ चढायौ -सूरदास
- तैहीं उनकौं मूड़ चढ़ायौ -सूरदास
- तो कहै हरि सौ बात हमारी -सूरदास
- तो पर वारी हौं नंदलाल -सूरदास
- तो पर वारी हौं नंदलाल 2 -सूरदास
- तो पर वारी हौं नंदलाल 3 -सूरदास
- तो मैं कृष्ण हेलुवा खेले -सूरदास
- तोकि कारी कामरि लकुटि अब भूलि गई -सूरदास
- तोड़-फोड़कर मुझे बना लो -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तोताद्रि नांगनेर
- तोमर अस्त्र
- तोमैं कृष्न हेलुवा खेले -सूरदास
- तोरी सावरी सुरत नंदलालाजी -मीरां
- तोशल
- तोषगाँव
- तोषगांव
- तोसे मिलहौं, हे राधिके! -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार -मीरां
- तोसौ गारि कहा कहि दीजै -सूरदास
- तोसौं कहा धुताई करिहौं -सूरदास
- तोहि किन रूठन सिखई प्यारी -सूरदास
- तोहि छबि राजै ब्रजराजसंग जागे की -सूरदास
- तोहिं कवन मति रावन आई -सूरदास
- तोहिं छबि राजै ब्रजराजसंग जागे की -सूरदास
- तोहिं बोलै री मधु-केसि-मंथन -सूरदास
- तोहिं स्याम हम कहा दिखावै -सूरदास
- तोहिं स्याम हम कहा दिखावैं -सूरदास
- तोहूँ कौ व्यापी री माई -सूरदास
- तौ तू उड़ि न जाइ रे काग -सूरदास
- तौ लगि बेगि हरौ किन पीर -सूरदास
- तौ हम मानै बात तुम्हारी -सूरदास
- त्याग (महाभारत संदर्भ)
- त्याग और सांख्यसिद्धान्त का वर्णन
- त्याग की महिमा के विषय में शम्पाक का उपदेश
- त्यागमूर्ति श्रीराधा आयीं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- त्यौं-त्यौं मोहन नाचै -सूरदास
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- त्रिजटी सीता पै चलि आई -सूरदास
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- त्रेतायुग
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