श्रीकृष्ण द्वारा जीवित लोग

ऋषि सांदिपनी को जब गुरुदक्षिणा मांगने के लिए कहा गया तब गुरु ने कहा कि मेरे पुत्र को एक असुर उठा ले गया है आप उसे वापस ले आएं तो बड़ी कृपा होगी। श्रीकृष्ण ने गुरु के पुत्र को कई जगह ढूंढा और अंत में वे समुद्र के किनारे चले गए जहाँ से उन्हें पता चला कि असुर उसे समुद्र में ले गया है तो श्रीकृष्ण भी वहीं पहुँच गये। बाद में पता चला कि उसे तो यमराज ले गए हैं तब श्रीकृष्ण ने यमराज से गुरु के पुत्र को हासिल कर लिया और गुरु दक्षिणा पूर्ण की।

इस तरह अर्जुन की 4 पत्नियां थीं- द्रौपदी, सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा। द्रौपदी से श्रुतकर्मा और सुभद्रा से अभिमन्यु, उलूपी से इरावत, चित्रांगदा से वभ्रुवाहन नामक पुत्रों की प्राप्ति हुई।
अभिमन्यु का विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ। महाभारत युद्ध में अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए। जब महाभारत का युद्ध चल रहा था, तब उत्तरा गर्भवती थी। उसके पेट में अभिमन्यु का पुत्र पल रहा था। द्रोण पुत्र अश्वत्थामा ने यह संकल्प लेकर ब्रह्मास्त्र छोड़ा था कि पांडवों का वंश नष्ट हो जाए।
द्रोण पुत्र अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र प्रहार से उत्तरा ने मृत शिशु को जन्म दिया था किंतु भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु-उत्तरा पुत्र को ब्रह्मास्त्र के प्रयोग के बाद भी फिर से जीवित कर दिया। यही बालक आगे चलकर राजा परीक्षित नाम से प्रसिद्ध हुआ। परीक्षित के प्रतापी पुत्र हुए जन्मेजय।
ऐसे कई उदाहरण हैं जबकि भगवान कृष्ण ने लोगों को फिर से जीवित कर दिया। भीम पुत्र घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की गर्दन कटी होने के बावजूद श्रीकृष्ण ने उसे महाभारत युद्ध की समाप्ति तक जीवित रखा।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रीकृष्ण के बारे में 14 रहस्य अनिरुद्ध जोशी ‘शतायु’। अभिगमन तिथि: अगस्त-26, 2016।

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