हौ तौ माई मथुरा ही पै जैहौ ।
दासी ह्वै वसुदेव राइ की, दरसन देखत रैहौ ।।
राखि राखि एते दिवसनि मोहिं, कहा कियौ तुम नीकौ ।
सोऊ तौ अकूर गए लै, तनक खिलौना जी कौ ।।
मोहिं देखि कै लोग हसैंगे, अरु किन कान्ह हँसै ।
‘सूर’ असीस जाइ दैहौ, जनि न्हातहु वार खसै ।। 3170 ।।