मीराँबाई की पदावली
विरहयातना राग होली
होली पिया बिन मोहिं न भावै, घर आँगण न सुहावे ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेली = अरी सखी। जोय = जलाकर। सुसक सुसक = सिसक सिसक कर। बिरियाँ = अवसर, मौका।
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