श्रीकृष्णांक
श्रीकृष्ण भक्ति रस
इस रस में कभी-कभी उन्मत्त की सी दशा हो जाती है और प्रेम की इतनी गाढ़ता होती है कि प्रेमी के लिए सर्वस्व का त्याग हो जाता है। जैसे- घर तजों बन तजों नागर-नगर तजों यह रस विलक्षण है, इसके विशेष लिखने का अधिकार नहीं ! बोलो श्रीकृष्ण भगवान की जय । खेलत आजु कन्हाई । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्रीयुत राय, बंगाल के प्रसिद्ध कवि और नाटककार स्वर्गीय डी. एल. राय महोदय के सुपुत्र हैं, आप बंगला के सम्मान्य कवि और प्रसिद्ध गायक हैं, जो कुछ समय पूर्व अमेरिका और यूरोप को अपने संगीत कला से मुग्ध कर चुके हैं। इस समय आप पाण्डिचेरी श्री अरविन्दाश्रम में साधन कर रहे हैं। आने यह हिन्दी में कविता लिखकर भेजी है।
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