श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्रीहरिराम व्यास (सं. 1549-1655)
राधावल्लभ इष्ट, गुरु श्री हरिवंश सहाइ। 'गुरु का माना हुआ शिष्य नहीं होता, शिष्य का माना हुआ गुरु होता है' इस बात को व्यास जी ने अपने पदों और साखियी में सरस ढंग से कहा है। उनके चरित्रों को में लिख नहीं सकता, वे समस्त ढंग से संसार में फैल रहे है।' 'गुरु को मान्यो शिष्य नहीं, शिख माने गुरु सोइ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रसिक अनन्य माल-व्यास चरित्र
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