श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
सम्प्रदाय का साहित्य
चाँपत चरन मोहनलाल। इसी भाव को लेकर नंददास का प्रसिद्ध पद हैः- चाँपत चरन मोहनलाल। इस पद में श्रीकृष्ण की अधीनता की पराकाष्ठा होते हुए भी वे श्रीराधा की प्रीति के प्रतिपालक हैं, वे श्रीराधा की प्रीति का प्रतिपालन करने के लिये उनके अधीन बनते हैं। व्यास जी के पद में वे श्रीराधा के अधीन बनकर अपने को परम भाग्यशाली मानते हैं। यहाँ प्रीति की प्रतिपालक श्रीराधा हैं और श्रीकृष्ण सर्वथा उनकी कृपा के आश्रित हैं। इसी प्रकार सखी-भाव को भी अष्टछाप के महात्माओं ने अपने ढंग से ही अंगीकार किया है। उनकी सखियाँ श्रीकृष्ण कांता हैं किन्तु उनका श्रीराधा के प्रति सापत्न्य भाव न होकर सख्य भाव है। श्रीहित हरिवंश द्वारा प्रतिष्ठित सखी स्वरूप इससे भिन्न है, यह हम पीछे देख चुके हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ व्यास वाणी-पृ. 379-80
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