श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
सिद्धान्त
प्रकट-सेवा
प्रगट भाव की नींव दृढ़ कीजै कृपा मनाइ। श्री लाड़िली दास अन्यत्र कहते हैं ‘प्रकट सेवा एक सच्ची हुंडी है। जिन्होंने इस हुंडी को ग्रहण किया है उनको इसके पूरे दाम मिले हैं। अब भी जो उपासक इसको दृढ़ विश्वास पूर्वक ग्रहण करता है उनको वृन्दावन की सुन्दर सम्पत्ति मिलती है।’ प्रगट भाव हुंडी सही गही लहे तिन दाम। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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