हरि बिन लो लोचन मरत पियास -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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हरि बिन लो लोचन मरत पियास।
वृंदावन मैं गाइ चरावत, तोरन पात पलास।।
जाइ सँदेस कहौ उन आगे, काहै कीन्ह बिसास।
चितवत पथ बहुत दिन बीते, अब मन होत उदास।।
चकई ज्यौ तन मन बिरमावतिं, अवधिं भानु की आस।
‘सूरदास’ प्रभु आनि मिलावहु, मोहन मदन-बिलास।। 165 ।।

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