मीराँबाई की पदावली
स्तुति प्रार्थना
हरि बिन कूण गती मेरी ।। टेक ।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कूण = कौन सी। गति = गती, दशा ( देखो - भई गति साँप छछूँदर केरो - तुलसीदास )। कहिये = कहना चाहिए, हो। निज = अपना। हीया में फेरी = हृदय में स्मरण करती रहती हूँ। आरति = आर्त्ति वा उत्कट चाह। तेरी = तेरे लिये। यौ = यह। पाल बाँधो = पाल चढ़ाओ, पाल तानो। बेरी = बेड़ा नाव ( डिं.)। नेरी = निकट।
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